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वाराणसी

डालिम्स सनबीम यौन उत्पीड़न केस में कोर्ट सख्त, प्रिंसिपल को संरक्षण देने वाले दरोगा पर जांच के आदेश

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महिला का आरोप – स्कूल में अक्सर शिक्षिकाओं पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया जाता है जिसमें प्रिंसिपल भी शामिल हैं

वाराणसी के चर्चित डालिम्स सनबीम स्कूल की पूर्व शिक्षिका के यौन उत्पीड़न के केस में कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया है। सीजेएम मनीष कुमार ने कहा कि स्कूल के डीन के खिलाफ दर्ज केस की विवेचना संदिग्ध, संवेदनहीन और विधि मानकों के विपरीत है। कोर्ट ने विवेचक दरोगा अभय सिंह परिहार पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर प्रिंसिपल और डीन को बचाने का प्रयास किया है।

पीड़िता ने डीन सुभोदीप डे पर छेड़खानी और अश्लील व्यवहार का आरोप लगाया था। घटना 27 मई की है जब महिला टीचर ने स्कूल में पढ़ाने के बाद पति को फोन किया। तभी डीन सुभोदीप डे पहुंच गए और फोन छीनते हुए कहा कि जब बुलाते हैं तो फ्लैट पर नहीं आती, अब मोबाइल लेना है तो रात में फ्लैट पर चुपचाप आ जाना।

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महिला ने अपने पति को बताया, जिन्होंने प्रिंसिपल प्रतिभा त्रिवेदी से मिलने को कहा। लेकिन डीन ने उसी दिन शाम 4.30 बजे निष्कासन पत्र बनवा दिया। प्रिंसिपल ने भी शिक्षिका की एक नहीं सुनी। महिला का आरोप है कि स्कूल में अक्सर शिक्षिकाओं पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया जाता है जिसमें प्रिंसिपल भी शामिल हैं।

सीजेएम कोर्ट ने कहा कि फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने से पहले पीड़िता का 183 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बयान भी नहीं लिया गया। सिर्फ सात दिन में विवेचना पूरी कर फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि दरोगा अभय सिंह परिहार के खिलाफ 15 दिन में विभागीय जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए।

कोर्ट की इस सख्ती के बाद पीड़िता को न्याय की उम्मीद जगी है। केस में स्कूल प्रबंधन और विवेचक के बीच मिलीभगत के आरोप भी लग रहे हैं। यदि जांच में यह साबित होता है तो दोनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो सकती है।

पीड़िता ने कहा कि पूरा घटनाक्रम स्कूल के CCTV में कैद है लेकिन उसे डिलीट किए जाने का डर है। फिलहाल कोर्ट ने फाइनल रिपोर्ट को चैलेंज करने वाली पीड़िता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए अगली तारीख तय की है और केस में पुनः विवेचना तथा आरोपी पक्ष को संरक्षण देने वालों पर कार्रवाई की संभावना जताई है।

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