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धर्म-कर्म

महायज्ञ के माध्यम से होगा भारतीय संस्कृति का पुनरूत्थान – प्रो. हरेराम त्रिपाठी

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लक्षचण्डी महायज्ञ के 18 दिन पूरे, विद्वानों का हुआ सम्मान

वाराणसी। संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज के सानिध्य में कोरोना महामारी के शमन हेतु चल रहे 51 दिवसीय विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ के आज अट्ठारह दिन पूरे हो चुके हैं। स्वामी प्रखर जी महाराज द्वारा भारत को विश्वगुरू बनाने के साथ ही कोरोना के समूल शमन व अन्य संकल्पों के सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। प्रतिदिन यज्ञशाला की प्रदक्षिणा करने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। बीते 18 दिनों से यज्ञ कराने वाले आचार्य पं अरुण शास्त्री जी ने बताया कि वर्तमान में भारत समेत पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी के संकट से गुजर रहा हैं। केवल भारत ही नहीं पूरे विश्व को इस संकट से उबारने के लिए मां भगवती की आराधना व पाठ किये जा रहे हैं। अब तक मां भगवती के 30 हजार पाठ पूरे हो चुके हैं। आगामी 28 फरवरी तक कुल 1 लाख पाठ पूरे हो जाएंगे। साथ ही इस महायज्ञ से पूरा वातावरण भी शुद्ध होता दिख रहा है। जल्द ही मां भगवती की कृपा से यह महामारी भी दूर हो जाएगी।

वहीं महायज्ञ परिसर में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में 17वें दिन विद्वत सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इसके बाद चारों वेदों में चतुर्वेद मंगलाचरण की प्रस्तुति की गई। इसके बाद काशी महायज्ञ समिति के सदस्यों द्वारा अतिथियों को अंगवस्त्रम प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में परम पूज्य स्वामी प्रखर जी महाराज ने कहा कि विद्वानों का सम्मान महा सम्मान है। आज के इस विद्वत सम्मान समारोह का प्रमुख उद्देश्य समाज मे भारतीय संस्कृति, सभ्यता, संस्कार, यज्ञ, पूजा अनुष्ठान, दान आदि के प्रचार-प्रसार व इनकी वास्तविकता से पसरिचित करना ही है।

बतौर मुख्य अतिथि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यलय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी जी ने कहा कि लक्षचण्डी मजयज्ञ के माध्यम से महाराज श्री ने भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान की कल्पना तथा कोरोना महामारी की समाप्ति इसी महायज्ञ के माध्यम से होगी। महाराज जी का परम संकल्प अवश्य पूर्ण होगा। क्योंकि संतों का संकल्प ही इस सृष्टि में पूर्ण होने की ताकत रखता है।

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इसके साथ ही पं गणवेश्वर शास्त्री द्राविड़, पं विश्वेश्वर शास्त्री द्रविड़, पद्मश्री हरिहर कृपालु त्रिपाठी, प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी, प्रो. रामचंद्र पांडेय, प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, प्रो. कमलेश झा, प्रो. विनय कुमार पांडेय, डॉ सज्जन प्रसाद त्रिपाठी, प्रो. माधव जनार्दन रटाटे, प्रो कमलकांत त्रिपाठी, प्रो. योगेंद्र ब्रह्मचारी आदि विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम में स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज, आचार्य सुभाष तिवारी,काशी महायज्ञ समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनील नेमानी, संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल, डॉ सुनील मिश्रा, अमित पसारी, शशिभूषण त्रिपाठी, अनिल भावसिंहका, मनमोहन लोहिया, अनिल अरोड़ा, विकास भावसिंहका आदि लोग उपस्थित रहे।

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