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वाराणसी

SIR : शहरी क्षेत्रों में घट सकती है मतदाताओं की संख्या!

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वाराणसी। विधानसभा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण  (Special Intensive Revision) के बाद शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या घटने की आशंका जताई जा रही है। इसके बरअक्स ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मतदाता सूची में नाम जुड़वाने को लेकर ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं।

गांव और शहर, दोनों जगह के मतदाता अब अपने-अपने गांव में वोटर बने रहने को वरीयता दे रहे हैं। इसके पीछे गांव में खेती-बाड़ी, मकान और पुश्तैनी पहचान को बनाए रखने की सोच प्रमुख कारण के रूप में सामने आई है। यह भी माना जा रहा है कि अगर भविष्य में एक देश-एक चुनाव और एक मतदाता सूची की व्यवस्था लागू होती है तो गांव में वोटर बने रहना शहर की तुलना में ज्यादा फायदेमंद होगा, क्योंकि गांव को ही मूल माना जा रहा है।

निर्वाचन आयोग द्वारा यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि अगर कोई व्यक्ति दो जगह वोटर पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस आशंका के कारण भी लोग शहर की अपेक्षा अपने गांव से एसआइआर का गणना प्रपत्र अधिक संख्या में भर रहे हैं। वाराणसी के शहरी क्षेत्र में बसने वाली बड़ी आबादी गांवों से आकर बसी है। आसपास के इलाकों के अलावा पूर्वांचल के अन्य जिलों और बिहार की आबादी भी यहां काफी ज्यादा है। फिलहाल एसआइआर के गणना प्रपत्रों के वितरण और डिजिटाइजेशन की स्थिति इस बात का संकेत दे रही है कि इस अभियान में गांव की सहभागिता शहर की तुलना में अधिक है।

वाराणसी में तीन विधानसभा क्षेत्र पिंडरा, अजगरा और सेवापुरी पूरी तरह ग्रामीण हैं। निर्वाचन कार्यालय से मिली सूचना के अनुसार पिंडरा में 71.66, अजगरा में 77.45 और सेवापुरी में 70.58 प्रतिशत डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका है। वहीं शहरी क्षेत्र से जुड़े विधानसभा क्षेत्रों में दक्षिणी में 53.66, उत्तरी में 48.92, कैंट में 49.3 और शिवपुर में 68.42 प्रतिशत डिजिटाइजेशन हुआ है। यह स्थिति साफ़ संकेत देती है कि शहरी क्षेत्रों में फार्म भरने को लेकर लोगों में वह रुझान नहीं दिख रहा जो ग्रामीण इलाकों में नजर आ रहा है।

एसआइआर में मुस्लिम मतदाता अधिक सतर्क दिख रहे हैं। वाराणसी के दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र में मैपिंग को लेकर स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी बताई जा रही है। यहां नो मैपिंग वोटरों की संख्या 64.76 प्रतिशत दर्ज की गई है। एसआइआर से जुड़े गणना सहायकों का कहना है कि इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी ज्यादा है और ये मतदाता फार्म भरने को लेकर अधिक सतर्क हैं। वे गणना प्रपत्र में पूरा विवरण दे रहे हैं। पुराने बाशिंदे अधिक संख्या में होने के कारण जो भी फार्म भरे जा रहे हैं उनकी मैपिंग हो पा रही है।

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इधर, एसआइआर प्रपत्र नहीं मिलने से शिवपुर विधानसभा क्षेत्र के घमहापुर गांव के कई लोग परेशान हैं। स्थिति यह है कि वे बीएलओ से लेकर काशी विद्यापीठ विकास खंड कार्यालय तक चक्कर लगा चुके हैं, मगर गणना प्रपत्र अब तक नहीं मिल पाया। घमहापुर गांव के जितेंद्र कुमार, कृष्णा राम, आशा देवी, काजल देवी, रविंद्र राम समेत दर्जनभर लोगों को गणना प्रपत्र नहीं मिला है, जबकि इन सभी मतदाताओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव में वोट डाला था और उनका वोटर कार्ड भी बना हुआ है।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (MGKVP) परिसर में रहने वाले अध्यापकों एवं कर्मचारियों का एसआइआर फार्म भरवाकर जमा कराने में सहयोग के लिए संकायाध्यक्ष, छात्र कल्याण संकाय प्रो. राजेश मिश्र को नामित किया गया है। कुलसचिव डॉ. सुनीता पांडेय ने बताया कि कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी के आदेशानुसार प्रो. राजेश को एसआइआर से संबंधित इस कार्य के लिए नामित किया गया है।

एसआइआर में नो मैपिंग (अर्थात गणना प्रपत्र भरने के बाद इन वोटरों का 2003 की मतदाता सूची में किसी भी रूप में प्रमाणित न होना) की सूची में ग्रामीण क्षेत्र के वोटर बड़ी संख्या में पास होते जा रहे हैं, जबकि शहरी क्षेत्र के वोटर यहां उलझते नजर आ रहे हैं। पिंडरा में 54.11, अजगरा में 67.9 और सेवापुरी में 54.41 प्रतिशत वोटर नो मैपिंग की श्रेणी में हैं।

वहीं शहरी क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों में कैंट में 84.31, उत्तरी में 78.31, रोहनिया में 82.84 और शिवपुर में 71.79 प्रतिशत मतदाता नो मैपिंग की सूची में दर्ज हैं। बताया जा रहा है कि इन वोटरों को नोटिस जारी होना तय है। यदि जवाब संतोषजनक नहीं मिला तो मतदाता सूची से नाम भी काटे जाएंगे। ऐसा होने पर शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या घटने की पूरी संभावना बन जाएगी।

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