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वाराणसी

वाराणसी में इन्वेस्टमेंट कंपनी का बड़ा घोटाला, डायरेक्टर समेत छः लोगों पर मुकदमा दर्ज

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वाराणसी के सिगरा क्षेत्र में एक चिटफंड कंपनी द्वारा लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने का मामला सामने आया है। कंपनी ने निवेशकों को चार साल में दोगुना मुनाफा देने का झांसा देकर लाखों लोगों से करोड़ों रुपये इकट्ठा किए और फिर गायब हो गई। इस मामले में सिगरा पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर कंपनी के डायरेक्टर समेत 6 मुख्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

कंपनी ने वाराणसी के मलदहिया स्थित श्रीराम कॉम्प्लेक्स में अपना कार्यालय खोला और एलयूसीसी द लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट थ्रिफ्ट को-ऑपरेशन सोसाइटी के नाम से कारोबार शुरू किया। गाजियाबाद में स्थित मुख्यालय का हवाला देते हुए, कंपनी ने चार साल में निवेश राशि को दोगुना करने का वादा किया। इसके तहत करीब 700 एजेंटों को नियुक्त किया गया, जिन्होंने वाराणसी और आसपास के जिलों में हजारों निवेशकों को इस स्कीम से जोड़ा।

चोलापुर थाने के धरसौना निवासी वीरेंद्र कुमार यादव, जो कंपनी के एक एजेंट थे, ने बताया कि उन्होंने खुद 7.50 लाख रुपये निवेश किए थे। उनके साथ अनिल यादव (3 लाख), पवित्रा यादव (3 लाख), दिलीप कुमार वर्मा (17.50 लाख) और हरिवंश यादव (6 लाख) ने भी भारी रकम लगाई। कंपनी के बंद होने के बाद सभी निवेशक अपने पैसे वापस पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

पुलिस ने कंपनी के डायरेक्टर समीर अग्रवाल (नवी मुंबई निवासी), शबाब हुसैन, सानिया अग्रवाल (वाराणसी), मंजय मुदगिल, आरके शेट्टी, और अभय राय के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। इसके अलावा, कंपनी के अन्य अज्ञात कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया गया है।

कंपनी के खिलाफ पहले भी वाराणसी के सिगरा और कैंट थाने में कई मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि इस कंपनी ने यूपी में करीब 100 एफआईआर दर्ज होने के बावजूद लोगों को धोखा देने का सिलसिला जारी रखा।

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निवेशकों ने पुलिस प्रशासन से जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार कर उनकी संपत्ति जब्त करने की मांग की है, ताकि निवेशकों का पैसा वापस मिल सके।

सिगरा पुलिस ने बताया कि यह मामला गंभीर है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर दी गई है। कंपनी के बैंक खातों और संपत्तियों की जांच भी शुरू कर दी गई है।

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