अपराध
क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर 15 करोड़ की ठगी करने वाला मुख्य आरोपी गिरफ्तार
निवेशकों को कैसे फंसाया गया ?
वाराणसी। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर दोगुना कमाई का झांसा देकर 15 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है। पुलिस ने गिरोह के एक सदस्य शुभम उर्फ विशाल मौर्या को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के पास से मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड और ढाई लाख रुपये की कीमत की बाइक बरामद की गई है।
पुलिस के मुताबिक, ठगी का यह मामला 50 करोड़ रुपये तक का हो सकता है और पीड़ितों की संख्या लगभग तीन हजार बताई जा रही है। इस गिरोह के सात अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।
ऐसे फैलाया ठगी का जाल
2022 में “बस्ड ग्लोबल” नाम की कंपनी का गठन किया गया, जिसका मुख्य कार्यालय रामनगर में था। कंपनी के निदेशकों में उन्नाव के अर्जुन शर्मा, बदायूं के राजकुमार मौर्या और उत्तराखंड के प्रकाश जोशी शामिल थे। इनके साथ स्थानीय युवकों को अच्छा वेतन और कमीशन का लालच देकर ठगी के लिए जोड़ा गया।
गिरोह के सदस्यों ने 600 दिन में रुपये दोगुना करने का झांसा देकर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कराने का काम शुरू किया। ठगों ने वाराणसी और आसपास के जिलों के अलावा बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के लोगों को अपना शिकार बनाया।
निवेशकों को कैसे फंसाया गया
गिरोह के सदस्य स्थानीय युवकों को शामिल करके लोगों का भरोसा जीतते थे। निवेशकों को शुरुआत में मुनाफे का पैसा दिया जाता, जिससे वे अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होते। इस तरह ठगों ने सात अलग-अलग कंपनियां बनाई और बड़ी संख्या में निवेश जुटाया।
अक्टूबर 2023 में कंपनी के निदेशकों ने घाटे का बहाना बनाकर भुगतान बंद कर दिया। मई 2024 में पीड़ितों ने मामला दर्ज कराया, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। बिहार और झारखंड में छिपे शुभम मौर्या को सर्विलांस के जरिए गिरफ्तार किया गया।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक जोखिम भरा निवेश
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल संपत्ति है, लेकिन भारत में इसे अभी तक मान्यता प्राप्त नहीं है। बिटकॉइन, एथेरियम और डोजीकाइन जैसे डिजिटल मुद्राओं में निवेश अपनी जोखिम पर करना पड़ता है। ठगी के इस मामले ने निवेशकों को सतर्क रहने का संदेश दिया है। पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है और मामले की गहन जांच जारी है।