वाराणसी
मणिकर्णिका पर हुआ निषाद मिलन, लक्ष्मण गीता उपदेश और चित्रकूट वास की हुई लीला

वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर रामलीला की अद्भुत झलकियों ने भक्तों को भगवान श्रीराम की दिव्य लीलाओं में खो जाने का अवसर प्रदान किया। सिंधिया घाट से नीलकंठ घाट के बीच चल रही रामलीला में इस बार निषादराज मिलन, लक्ष्मण द्वारा गीता उपदेश और चित्रकूट वास की मनोहारी लीला का भव्य मंचन किया गया।
रामलीला का यह दृश्य तब शुरू हुआ, जब श्रीराम को गंगा पार कराने हेतु भगवान ने केवट से नाव मांगी। केवट ने विनम्रता के साथ कहा, “प्रभु, मैंने सुना है कि आपके चरणों की धूल चमत्कारी है, जो पत्थर को भी मानव बना देती है। यदि आपकी धूल मेरी नाव पर पड़ गई, तो मेरी रोजी-रोटी भी पत्थर बन जाएगी।” केवट ने श्रीराम के चरण पखारने का आग्रह किया, जिसे प्रभु ने मुस्कुराकर स्वीकार किया। जैसे ही केवट उनके चरण धोते गए, दूसरा चरण मिट्टी में लिपटता गया जिससे केवट दुखी हो गया।
केवट के इस भावुक स्थिति को देख श्रीराम एक पैर पर खड़े हो गए। केवट ने भगवान से आग्रह किया कि वह उनके सिर का सहारा लें। प्रभु ने प्रेमपूर्वक केवट के सिर पर हाथ रखा जिससे आकाश से पुष्पवर्षा होने लगी। इस सुंदर और भावुक क्षण ने दर्शकों को गद्गद कर दिया।
इसके बाद लक्ष्मण द्वारा गीता के उपदेश और चित्रकूट वास की लीला के मंचन के साथ इस भाग का समापन हुआ। वहीं, बड़ौरा की रामलीला में राम-रावण युद्ध का मंचन किया गया, जिसमें रावण वध के दृश्य ने दर्शकों को उत्साह और श्रद्धा से भर दिया।