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चन्दौली

जिले में ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान सख्ती से लागू होगा : जिलाधिकारी

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पेट्रोल पंपों पर होगी निगरानी, बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं मिलेगा – प्रतिदिन होंगे औचक निरीक्षण

चंदौली। जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग की अध्यक्षता में सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक संपन्न हुई। बैठक में ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान को प्रभावी रूप से लागू किए जाने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई।

जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट पेट्रोल भरवाने की ज़बरदस्ती करने वालों की फोटो खींचकर जनपद स्तर पर बनाए गए ग्रुप में भेजी जाए, ताकि संबंधित अधिकारी उनके विरुद्ध चालान कर उचित कार्रवाई कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल न दिया जाए और उन्हें हेलमेट पहनने के फायदे समझाकर जागरूक किया जाए।

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हेलमेट से घटेंगी सड़क दुर्घटनाओं में मौतें
जिलाधिकारी ने कहा कि हेलमेट न पहनने के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या को कम किया जा सकता है। शासन द्वारा सड़क सुरक्षा के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने और मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से यह अभियान प्रारंभ किया गया है। इसी के तहत जनपद के समस्त पेट्रोल पंपों पर ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ के होर्डिंग लगाए गए हैं।

उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि अभियान का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें। साथ ही पेट्रोल पंप संचालकों को भी निर्देशित किया गया कि किसी भी स्थिति में बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल न दें। ओवरलोडिंग, नशे में वाहन चलाने, बिना हेलमेट व सीटबेल्ट के वाहन संचालन, तथा गलत दिशा में चलने पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

ब्लैक स्पॉट चिन्हित कर दूर की जाएं कमियाँ
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में चिन्हित ब्लैक स्पॉट की जांच कर संभावित कमियों को दूर किया जाए। साथ ही आमजन को जागरूक करते हुए प्रचार-प्रसार भी सुनिश्चित किया जाए। बैठक में उन्होंने संबंधित अधिकारियों को पेट्रोल पंपों के औचक निरीक्षण के निर्देश भी दिए।


बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने आगामी बैठक के लिए दुर्घटनाओं के विश्लेषण हेतु चार बिंदुओं पर जानकारी प्रस्तुत करने को कहा—

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वाहन का प्रकार: जिससे यह ज्ञात हो कि किस वाहन से दुर्घटनाएँ अधिक हो रही हैं।

दुर्घटना के कारण: जैसे गलत दिशा, नशा, ओवरलोडिंग या अन्य।

दुर्घटना स्थल: लिंक रोड, आबादी क्षेत्र, डाइवर्जन आदि।

दुर्घटना का समय: ताकि यह जाना जा सके कि किस समय सबसे अधिक दुर्घटनाएँ हो रही हैं।

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जिलाधिकारी ने कहा कि इन आंकड़ों के आधार पर हम दुर्घटनाओं के मूल कारणों की पहचान कर रोकथाम की प्रभावी योजना तैयार कर सकते हैं।

पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई को दिए निर्देश
उन्होंने पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई को निर्देशित किया कि जहां-जहां सड़कों का मिलन बिंदु (इनरपास) हाईवे से होता है, वहां स्पीड ब्रेकर, साइनेज और गति सीमा से संबंधित उपाय किए जाएं।

एआरटीओ पर जतायी नाराजगी
बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने एआरटीओ द्वारा पूछे गए प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर न देने पर कड़ी नाराजगी जतायी और भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने के निर्देश दिए।

बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक, एआरटीओ, अधिशासी अभियंता सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।

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