वाराणसी
हिमालयन स्ट्रॉबेरी की जैविक खेती से किसान लल्ला ने कमाया मुनाफा

वाराणसी। मिर्जामुराद क्षेत्र के गौर गांव निवासी किसान लल्ला प्रसाद मौर्या ने जलवायु की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जैविक तकनीक अपनाकर हिमालयन स्ट्रॉबेरी की सफल खेती कर एक मिसाल पेश की है। अर्बन एग्रोटेक के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के सहयोग से लल्ला प्रसाद मौर्या जैविक विधि से उच्च गुणवत्ता वाली स्ट्रॉबेरी उगाकर लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं।
लल्ला प्रसाद की इस सफलता में जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक अहर्निश मौर्य और अर्बन एग्रोटेक के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह शेरा, डॉ. संजय विश्वकर्मा और डॉ. वेद कुमार मिश्रा का महत्वपूर्ण योगदान है। वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में उन्होंने बिना किसी रासायनिक उर्वरक के पूरी तरह जैविक विधि से हिमालयन स्ट्रॉबेरी की खेती की है।
कृषक लल्ला प्रसाद ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की उपज को स्थानीय बाजार के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यम से भी बेचा जा रहा है। जैविक पद्धति से उगाई गई यह स्ट्रॉबेरी उच्च गुणवत्ता के कारण बाजार में अच्छी कीमत पर बिक रही है, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह शेरा इससे पहले भी मशरूम की विभिन्न प्रजातियों को प्राकृतिक तरीके से उगाकर किसानों को लाखों रुपये का मुनाफा दिला चुके हैं। इस बार डॉ. शैलेन्द्र सिंह शेरा, डॉ. संजय विश्वकर्मा और भदोही जिले के जिला संसाधन व्यक्ति डॉ. वेद कुमार मिश्रा ने इंजीनियर अहर्निश मौर्य के साथ मिलकर लल्ला प्रसाद मौर्या को हिमालयन स्ट्रॉबेरी की सफल खेती के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान की।
हिमालयन स्ट्रॉबेरी में विटामिन सी, लौह तत्व और खनिज पदार्थ की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस फल का सेवन रक्त अल्पता (एनीमिया) से ग्रसित रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। जैविक विधि से उगाई गई स्ट्रॉबेरी न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि इसकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि मैदानी क्षेत्रों में वैज्ञानिक विधि से हिमालयन स्ट्रॉबेरी की खेती कर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। यह व्यावसायिक खेती किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जिससे वे आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाकर अपनी आजीविका को सशक्त बना सकते हैं।
गौर गांव के किसान लल्ला प्रसाद मौर्या की इस सफलता ने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सही मार्गदर्शन और उन्नत तकनीकों का उपयोग कर विपरीत परिस्थितियों में भी बेहतर उत्पादन संभव है।