वाराणसी
“संगीत ग्राम” भारतीय संगीत और संस्कृति को संरक्षित करने का एक अनूठा प्रयास : डॉ. सोमा घोष

वाराणसी में पद्मश्री सम्मानित और प्रख्यात शास्त्रीय गायिका डॉ. सोमा घोष ने भारतीय संगीत और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक अनोखा कदम उठाते हुए गैर-लाभकारी संगठन “मधु मूर्छना” के तहत “संगीत ग्राम” की स्थापना का प्रस्ताव रखा है।
यह संस्थान वाराणसी में निर्मित किया जाएगा, जो भारत के विभिन्न लुप्तप्राय संगीत वाद्ययंत्रों, गायन-शैलियों और नृत्य रूपों को एक छत के नीचे लाने और उन्हें संजोने का एक सामूहिक प्रयास है।
तीन प्रमुख उद्देश्य
1. “संगीत ग्राम” संस्थान की स्थापना:संगीत ग्राम को वाराणसी में पवित्र गंगा के पास लगभग तीन एकड़ भूमि पर निर्मित किया जाएगा। यह संस्थान राष्ट्रीय प्रतिभाओं को एक मंच पर लाने, शास्त्रीय संगीत और नृत्य की परंपराओं को पोषित करने और नई पीढ़ी को इस धरोहर से जोड़ने का कार्य करेगा।
2. लुप्तप्राय वाद्ययंत्रों और परंपराओं को पुनर्जीवित करना:ध्रुपद, ठुमरी, दादरा और ग़ज़ल गायकी जैसी पारंपरिक भारतीय संगीत शैलियों के साथ-साथ विचित्र वीणा, सरस्वती वीणा, सारंगी, एसराज, सुरबहार, तबला तरंग और जल तरंग जैसे दुर्लभ वाद्ययंत्रों को सिखाने और प्रचारित करने पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही गुलाब बाड़ी, बुढ़वा मंगल, दरबारी महफिल जैसी सांस्कृतिक परंपराओं को भी पुनर्जीवित किया जाएगा।
3. अनुसंधान, विकास और संग्रहालय की स्थापना:संस्थान लुप्तप्राय संगीत वाद्ययंत्रों और पारंपरिक कलाओं पर अनुसंधान करेगा। इसके अलावा एक संग्रहालय भी बनाया जाएगा जहां इन वाद्ययंत्रों और शैलियों का प्रदर्शन किया जाएगा ताकि भावी पीढ़ियों के लिए इनका संरक्षण और संवर्धन सुनिश्चित हो सके।
“संगीत ग्राम” की संरचना
संगीत ग्राम परिसर में सात इमारतें होंगी जिनमें प्रत्येक का एक विशिष्ट उद्देश्य होगा। इनमें गायन, वाद्य यंत्र, नृत्य, अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग अनुभाग होंगे। यह स्थान पारंपरिक भारतीय संगीत, नृत्य और संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी ले जाने का कार्य करेगा।
डॉ. सोमा घोष ने सरकार से गंगा नदी के पास भूमि आवंटित करने की अपील की है ताकि इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मूर्त रूप दिया जा सके। यह संस्थान भारतीय कला और संस्कृति को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने का एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।