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वाराणसी

अन्नपूर्णा मंदिर की दीवारों से हटाया गया पुराना रंग, चुनार पत्थर निखरे

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वाराणसी स्थित बाबा विश्वनाथ के आंगन में स्थित मां अन्नपूर्णा के मंदिर की दीवारों की स्थिति अब बेहतर हो रही है। मंदिर की दीवारों से कई दशकों से लगा हुआ लाल रंग अब हटा दिया गया है और अब चुनार के गुलाबी पत्थरों की प्राकृतिक सुंदरता उभरकर सामने आ रही है। इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम को लगाया गया है जो दीवारों से रासायनिक रंगों को हटाने का काम कर रही है।

मंदिर की दीवारों से रंग हटाने की यह प्रक्रिया लगभग 50 साल बाद हो रही है। दीवारों पर अब गोबर से बना पेंट लगाया जाएगा। विशेषज्ञों ने दीवारों से रंग हटाने के लिए विशेष मशीनों का इस्तेमाल किया है जो बंगलूरू से मंगाई गई हैं। इसके साथ ही कुछ जगहों पर मंदिर के पत्थर भी खराब हो गए थे जिन्हें अब बदलने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

मंदिर प्रशासन के मुताबिक यह सफाई कार्य छह दिनों से विशेषज्ञों की निगरानी में जारी है जिसमें रोजाना आठ से दस घंटे की शिफ्टों में 12 से अधिक मजदूर काम कर रहे हैं।अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण 1729 में मराठा पेशवा बाजीराव द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर देश का इकलौता श्रीयंत्र के आकार में बना हुआ है।

मंदिर की वास्तुकला भारतीय पारंपरिक शैली पर आधारित है जिसमें मेहराब, मूर्तिकला और जटिल नक्काशी का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। मंदिर की दीवारों पर हिंदू पौराणिक कथाओं, पुष्पों और ज्यामितीय पैटर्न की दृश्यचित्रण की गई है। यहां देवी अन्नपूर्णा की दो मूर्तियां हैं—एक पीतल की और दूसरी सोने की जो विशेष अवसरों पर दर्शनों के लिए खोली जाती हैं।

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