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मुम्बई

मां ने बचाई अपने बच्चे की जान

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मुंबई। एक बच्चे के लिए मां का प्यार सर्वोत्तम होता है। मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है। ताजा मामला मुंबई के वडाला से है जहां अपने जिगर के टुकड़े यानी बच्चे को बचाने के लिए एक मां ने अपने जिगर का टुकड़ा दान कर दिया और उसे नई जिंदगी दी है। इस गरीब परिवार के बच्चे की इस जंग में केईएम अस्पताल और डॉक्टर ने भी पूरा सहयोग दिया। उसकी जान बचाने में अहम भूमिका निभाई। पिता मूसा खान ने बताया कि, लिवर ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टरों ने 10 लाख रुपये का खर्च बताया था। जब डॉक्टरों से मैंने अपनी कमजोर आर्थिक संकट के बारे में बताया तो उन्होंने बिना कोई पैसे लिए ही इलाज कर दिया।

जानकारी के अनुसार, मुंबई के वडाला में रहने वाले और टेलरिंग का काम करने वाले मोहम्मद मूसा खान ने बताया कि, उनकी पत्नी और 9 साल का बेटा अबू तालिब खान दोनों यूपी में रहते थे। जब वह 7 साल का था, तब उसे पीलिया हुआ था। ठीक होने के बाद उनकी पत्नी और बेटा मुंबई आ गए, लेकिन तीन महीने बाद ही बेटे को फिर से पीलिया हो गया। कई बार इस समस्या से जूझा। 2022 में केईएम अस्पताल में दिखाया गया। दो बार लिवर बायोप्सी हुई। इलाज के बाद वह ठीक हो गया था।

जानकारी के अनुसार, मुंबई के वडाला में रहने वाले और टेलरिंग का काम करने वाले मोहम्मद मूसा खान ने बताया कि, उनकी पत्नी और 9 साल का बेटा अबू तालिब खान दोनों यूपी में रहते थे। जब वह 7 साल का था, तब उसे पीलिया हुआ था। ठीक होने के बाद उनकी पत्नी और बेटा मुंबई आ गए, लेकिन तीन महीने बाद ही बेटे को फिर से पीलिया हो गया। कई बार इस समस्या से जूझा। 2022 में केईएम अस्पताल में दिखाया गया। दो बार लिवर बायोप्सी हुई। इलाज के बाद वह ठीक हो गया था। अभी कुछ दिन पहले ही गर्मी की छुट्टी में 22 अप्रैल को गांव गए थे। वहीं पर उनके बेटे को पेट दर्द हुआ। बाद में पीलिया भी हो गया। गांव में कई डॉक्टरों को दिखाया। उन्होंने केईएम में दिखाने की सलाह दी। केईएम में डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा कि लिवर ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा। हमें 2 महीने का समय दिया गया। डॉक्टरों ने मुझे या मेरी पत्नी में से किसी एक को अंगदान करने की सलाह दी थी। मेरी पत्नी सलमा खान ने अपने लीवर का टुकड़ा देने पर राजी हुई।

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. चेतन कंथारिया ने बताया कि बच्चे को विल्सन्स नामक दुर्लभ बीमारी थी। इसके कारण उसे बार-बार जॉन्डिस हो रही थी। लिवर ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प था। उसकी मां का ब्लड मैच हो गया। इसके बाद हमने गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ आकाश शुक्ला और एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. अमला कुडालकर की मदद से लाइव लिवर ट्रांसप्लांट किया। उसकी मां शनिवार को डिस्चार्ज हो जाएगी। फिलहाल पेशंट डॉक्टर की देखरेख में है।

सोशल मीडिया यूजर्स मां के इस पहल की खूब तारीफ कर रहे हैं और बच्चे के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं। चूंकि बच्चा दुर्लभ बीमारी विल्सन्स से जूझ रहा था, तो रेयर डिजीज फंड से उसका इलाज किया गया।

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