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वाराणसी

काशी के संस्कृत विश्वविद्यालय का फैसला; धर्म गुरु की परीक्षा देने वालों को दिया जाएगा एक अलग प्रमाण पत्र

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वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और देश भर में स्थित इसके महाविद्यालयों के छात्रों की शास्त्री की उपाधि में शैक्षणिक सत्र-2022 से बीए भी लिखा रहेगा। अब शास्त्री उपाधि धारक बीए पास स्नातक भी कहे जाएंगे। इसके साथ ही पूर्व मध्यमा की मार्कशीट में हाईस्कूल और उत्तर मध्यमा की मार्कशीट में इंटरमीडिएट लिखा रहेगा। इसके अलावा जो विद्यार्थी सेना में धर्म गुरु के लिए आवेदन करेंगे, उन्हें एक निर्धारित प्रारूप पर शास्त्री की उपाधि को बीए की समकक्षता का लिखित प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

प्रमाण पत्र में कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक के हस्ताक्षर रहेंगे। इसके पूर्व आचार्य की उपाधि में एमए जोड़ा जा चुका है जो कि आचार्य व एमए स्नातकोत्तर के उपाधि धारक कहे जाते हैं।

संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि यूनिवर्सिटी से शास्त्री की उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों ने हाल ही में बताया था कि सेना में घर्म गुरु पद के लिए आवेदन करने पर उन्हें स्नातक नहीं माना जा रहा है। इसके साथ ही उनके आवेदन को स्वीकार भी नहीं किया गया। छात्रों की इस समस्या को देखते हुए उन्होंने बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात की थी। साथ ही सेना के प्रमुख और सेना चयन बोर्ड को पत्र और ई-मेल भी भेजा था। रक्षा मंत्री ने अप्रैल तक छात्रों की समस्या के स्थायी निराकरण का आश्वासन दिया है।

कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि मेरे लिये सदैव इस संस्था और यहां के विद्यार्थियों का हित सर्वोपरि है। इसके लिये विधिक रूप से सदैव समर्पित भी हूं। संस्कृत के अभ्युदय से ही भारतीय संस्कृति का अभ्युदय संभव है। यहां के विद्यार्थियों के माध्यम से ही राष्ट्र संरक्षा संभव है। इसलिए छात्रों के हित में और उनके भविष्य को संवारने के लिए वह हरसंभव प्रयास करूंगा जिससे वह विश्वविद्यालय का नाम रोशन करते रहें।

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