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गाजीपुर

ईद-उल-फितर की तैयारियां जोरों पर, बहरियाबाद में उमड़ी खरीददारों की भीड़

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गाजीपुर। जिले के बहरियाबाद क्षेत्र में ईद-उल-फितर के त्यौहार की तैयारियां जोरों पर हैं। क्षेत्र के आस-पास के गांवों जैसे देयीपुर, झोटना, रायपुर, बहरियाबाद पलिवार, मिर्जापुर, बनगांव और सादात सहित दर्जनों गांवों के मुसलमानों ने अभी से ईद की खुशी में नए कपड़ों की खरीदारी शुरू कर दी है। कपड़ों की दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है, जहां हर कोई अपने मनपसंद कपड़ों की तलाश में जुटा है।

क्षेत्रीय बाजारों में ईद के रंग-बिरंगे कपड़ों की विशेष मांग बनी हुई है। दुकानदार ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न डिजाइनों के कपड़े थोक और फुटकर दोनों में उपलब्ध करा रहे हैं। गांवों में फेरी करने वाले कपड़ा व्यवसायी भी सक्रिय हैं, जो रमजान के दौरान घर-घर जाकर कपड़े बेच रहे हैं। ईद-उल-फितर के दिन नए कपड़े पहनने का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है, जिसे खुशी का इजहार करने का एक माध्यम माना जाता है।

रमजान का महीना आत्मा और शरीर की शुद्धि का समय होता है, और ईद के दिन नया कपड़ा पहनना इस शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सभी मुसलमान भाई नए-नए कपड़े पहनते हैं, जो एकता और समानता का संदेश देता है। विशेष रूप से गरीब परिवारों के लिए क्षेत्र के संपन्न लोग नए कपड़े खरीदकर दान करते हैं ताकि हर कोई ईद की खुशियों में शामिल हो सके।

ईद के दिन बच्चों की खुशी देखते ही बनती है। नए कपड़े पहनना उनके लिए एक विशेष अवसर होता है, जिससे वे त्यौहार के उत्साह में पूरी तरह भाग लेते हैं। रमजान के दौरान नया कपड़ा पहनने की परंपरा न केवल सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि यह सफाई, एकता और भाईचारे का प्रतीक भी मानी जाती है।

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ईद के दिन हर व्यक्ति नए कपड़ों में सजा-धजा नजर आता है और इस अवसर पर सुन्नत के रूप में इत्र लगाना भी आम प्रथा है, जिससे वातावरण सुगंधित और शुद्ध बना रहता है। ईद-उल-फितर का यह पावन त्यौहार सभी मुसलमानों के लिए भाईचारे और सौहार्द का संदेश लेकर आता है। इस दिन लोग अपने-अपने तरीकों से खुशियां मनाते हैं और एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं।

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