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डाक विभाग ने ओलंपियन ललित उपाध्याय को किया सम्मानित डाक टिकट पर अपनी फोटो देखकर ललित हुए प्रफुल्लित

पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने ओलंपियन ललित उपाध्याय को किया सम्मानित, डाक टिकट पर अपनी फोटो देखकर ललित हुए प्रफुल्लित।भारतीय डाक विभाग द्वारा टोक्यो ओलंपिक-2020 में कास्य पदक टीम के सदस्य श्री ललित उपाध्याय का विशेश्वरगंज स्थित प्रधान डाकघर पर वाराणसी में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव की अध्यक्षता में आयोजित एक कार्यक्रम मे आज सम्मान किया गया ।पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने ललित उपाध्याय को शाल ओढ़ाकर और उनके चित्र वाली माई स्टैम्प भेंटकर सम्मानित किया, साथ ही ललित माँ रीता उपाध्याय, पिता श्री सतीश उपाध्याय और उनके कोच श्री परमानंद मिश्र को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। डाक टिकट पर अपना चित्र देखकर ललित उपाध्याय बेहद प्रफुल्लित नजर आये । और डाक विभाग का शुक्रिया अदा किया। गौरतलब है कि ललित उपाध्याय टोक्यो जाने वाली हॉकी ओलम्पिक टीम में उत्तर प्रदेश से भी एकमात्र खिलाड़ी रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि वाराणसी की धरा साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा अध्यात्म के लिए ही नहीं जानी जाती बल्कि खेल के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियों के लिए जानी जाती है। टोक्यो ओलंपिक में तीन बार की चैम्पियन जर्मनी को हराकर कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रूप में ललित उपाध्याय ने वाराणसी ही नहीं, अपितु पूरे देश का मान बढ़ाया है। उनकी इस उपलब्धि से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी और वे नए आयाम रचने को तत्पर होंगे श्री यादव ने कहा कि, यह भी एक खूबसूरत संयोग है कि, मास्को ओलम्पिक (1990) में भारतीय हॉकी टीम को गोल्ड मेडल जिताने में वाराणसी के ही मो. शाहिद ने अहम भूमिका निभाई थी और अब टोक्यो ओलम्पिक में भी वाराणसी के ही ललित उपाध्याय ने हॉकी टीम को कास्य मेडल जिताने में प्रमुख भूमिका निभाई। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन की बदौलत ही ओलम्पिक में 41 वर्ष बाद भारत ने हॉकी में प्राप्त किया पद्मश्री मो. शाहिद, विवेक सिंह व राहुल सिंह के बाद ललित उपाध्याय ऐसे हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व पर सभी को गौरवान्वित किया।
ओलंपियन ललित उपाध्याय ने अपने सम्मान से अभिभूत होकर सर्वप्रथम डाक विभाग का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत की बदौलत कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। 41 वर्षों बाद भारतीय टीम का ओलम्पिक में पदक जीतना बेहद आनंददायक और उत्साहवर्धक है।
भारतीय खेल प्राधिकरण के पूर्व चीफ कोच और ललित उपाध्याय के गुरु श्री परमानंद मिश्र ने कहा कि ललित शुरू से ही मेधावी और ऊर्जावान खिलाड़ी रहे हैं और ओलंपिक की इस जीत के बाद उनसे और भी अपेक्षाएं बढ़ गई हैं पिता श्री सतीश उपाध्याय ने कहा कि अच्छा लगता है जब लोग मुझे मेरे बेटे के नाम से पहचानते हैं अब तो हम लोगों का सपना यही है कि अगली बार आपकी में गोल्ड लेकर आए।
डाक विभाग के विभिन्न यूनियन पदाधिकारियों द्वारा भी श्री ललित उपाध्याय का सम्मान किया गया जिनमें से जगदीश चंद शादेजा, सदस्य भारतीय डाक हॉकी टीम, सुशांत कुमार झा, नवीन कुमार श्रीवास्तव ,पंकज कुमार ,शत्रुघन नारायण सिंह आदि लोग शामिल रहे।