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वाराणसी

घर से ही शुरू करें लैंगिग समानता की शिक्षा-प्रो. आनंद कुमार

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वाराणसी| महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा है कि विकसित समाज के लिए लैंगिग समानता अत्यन्त जरूरी है। इसकी शिक्षा सबसे पहले घर में ही दी जानी चाहिए। अगर प्रत्येक मां अपने बेटे-बेटियों में लैंगिक समानता की पहल कर दे तो समाज में स्वतः ही परिवर्तन आ जाएगा।
प्रो. त्यागी मंगलवार को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर चाइल्ड लाइन व समाजिक संस्था अस्मिता की ओर से गांधी अध्ययन पीठ के सभागार में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परिवार ही समाज की मूल इकार्इ है। लिहाजा लैंगिक समानता की पहल यही से होनी चाहिए। उन्होंने कहा महिलाओं को समस्याओं पर मौन नहीं साधना चाहिए। अपने साथ होने वाले हर अत्याचार चाहे वह समाज में हो या फिर परिवार में सभी जगहों पर इसका विरोध करना वे सीखें। प्रो. त्यागी ने कहा कि कर्इ एक मामलों में देखने में आता है कि किसी स्त्री के उत्पीड़न में किसी महिला की भी भूमिका होती है। उत्पीड़न करने के दौरान वह यह भूल जाती है कि कल यह समस्या खुद उनके साथ भी हो सकती है । इसलिए सभी महिलाओं को यह चाहिए कि वह एक दूसरे से अच्छा व्यवहार करें ताकि उनके साथ किसी को भी बुरा व्याहार करने की हिम्मत न हो सके।
समारोह में विशिष्ठ अतिथि के रूप में विचार व्यक्त करते हुए अपर पुलिस आयुक्त (महिला अपराध एवं नोडल अधिकारी विशेष किशोर पुलिस इकार्इ) ममता रानी ने कहा कि प्रतेक स्त्री को महिला होने का गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता लाने में परिवार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसमें पत्येक परिवार में मां को चाहिए कि वह बेटे-बेटियों में फर्क करना बंद कर दें। बेटियों को आत्मनिर्भर बनायें। उन्हें अकेले आने-जाने में डरें नहीं। बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच ही समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकता है। हम बेटियों को इतना मजबूत बनायें कि वह गलत का विरोध करना सींखे। बेटी को बतायें कि हमें तुम पर नाज है। हमेशा उसका मनोबल बढ़ाते रहें। बेहतर शिक्षा प्रदान कर उसे आत्मनिर्भर बनायें। समारोह में डब्ल्यूएचओ की डॉ सतरूपा ने कहा कि बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें उनके स्वास्थ्य की भी चिंता करनी जरूरी है। इसके लिए उनके जन्म के बाद से ही हमें जागरूक रहने की जरूरत है। उन्हें जरूरी टीकें लगवाए । राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य मिशन की काउंसलर ईरा त्रिपाठी ने कहा कि बेटियों के मानसिक स्वास्थ्य का भी हमें ध्यान देना जरूरी है। समाज में महिलाओं को कमजोर मानने व तमाम अन्य कारणों से पुरुषों की तुलना में वह अवसाद से अधिक ग्रसित होती हैं। इस गंभीर समस्या पर भी हमें ध्यान देना होगा। समारोह में अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी नीलू मिश्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रो. मधु कुशवाहा, चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक शिशिर श्रीवास्तव, चाइल्ड लाइन के निदेशक मजू मैथ्यू ने भी विचार व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत गांधी अध्ययन पीठ के निदेशक प्रो. संजय व संचालन ऋतु ने किया।

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