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गाजीपुर

इतिहास से लेकर आज तक: कैसे महिला दिवस बना बदलाव का प्रतीक

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मोहम्मदाबाद (गाजीपुर)। हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के सम्मान, समानता और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का उत्सव है और उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।

महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब 15,000 अमेरिकी महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में अपने अधिकारों के लिए एक विशाल रैली निकाली थी। रूस में भी 1917 में महिलाओं ने रोटी और अमन की मांग करते हुए ज़ार की हुकूमत के खिलाफ हड़ताल की थी। इसके बाद, 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिन को आधिकारिक मान्यता दी, और 1987 में कांग्रेस ने मार्च महीने को राष्ट्रीय महिला इतिहास माह के रूप में घोषित कर दिया।

आज, जब दुनिया विभिन्न संकटों जैसे भू-राजनीतिक संघर्ष, बढ़ती गरीबी और जलवायु परिवर्तन का सामना कर रही है, महिलाओं के सशक्तिकरण में निवेश करके बदलाव लाया जा सकता है। सशक्त महिलाएं न केवल अपने परिवार और समाज को मजबूत बनाती हैं, बल्कि एक सुरक्षित, स्वस्थ और समान भविष्य का निर्माण भी करती हैं।

महिलाओं की सुरक्षा और स्वावलंबन को ध्यान में रखते हुए, अक्टूबर 2024 से मिशन शक्ति अभियान के तहत कई सरकारी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया गया है। इनमें मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, निराश्रित महिला पेंशन योजना, राष्ट्रीय पोषण योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला शक्ति केंद्र योजना और प्रधानमंत्री फ्री सिलाई योजना जैसी योजनाएँ शामिल हैं। इसके अलावा, वन स्टॉप सेंटर, ऑपरेशन मुक्ति, बाल विवाह और महिला उत्पीड़न रोकथाम कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को सुरक्षा और उनके अधिकारों की जानकारी दी जा रही है।

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इन योजनाओं और सरकारी प्रयासों का प्रभाव साफ़ दिखाई दे रहा है। महिलाएं अब आत्मनिर्भरता, आत्म-सम्मान और आत्म-सुरक्षा की ओर मजबूती से कदम बढ़ा रही हैं। यह पहल महिलाओं के उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने और समाज में समानता, सम्मान और सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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