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वाराणसी

आपातकाल लोकतंत्र की आत्मा पर आघात था : प्रो. मिथिलेश सिंह

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वाराणसी। श्री अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज में ‘आपातकाल और लोकतांत्रिक मूल्य’ विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. मिथिलेश सिंह ने की। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय था। इस दिन लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया, नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गई और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया।

विपक्षी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया। यह केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा पर गंभीर प्रहार था, जिससे आज भी सीख लेने की आवश्यकता है।

विचार व्यक्त करते हुए प्रो. दुष्यंत सिंह ने कहा कि यह कालखंड स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक रहा, जिसमें संविधान में निहित मूल्यों की अनदेखी कर अभिव्यक्ति की आजादी को दबा दिया गया। प्रेस पर सेंसरशिप थोप दी गई, जबरन नसबंदी की गई और लोकतंत्र को बंधक बना लिया गया।

इस अवसर पर प्रो. आभा सक्सेना, प्रो. अनीता सिंह, डॉ. पूनम राय, डॉ. मृदुला व्यास, डॉ. दीपा अग्रवाल, डॉ. नंदिनी पटेल, डॉ. सरला सिंह, डॉ. सोनम चौधरी, डॉ. शोभा प्रजापति, डॉ. सुनीता सिंह सहित अनेक प्राध्यापक उपस्थित रहे।

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