चन्दौली
मशरूम से लेकर सूरजमुखी तक: खड़ान की संस्था दे रही किसानों को नई पहचान

धानापुर (चंदौली)। स्थानीय विकास खंड क्षेत्र में किसानों के हित के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहने वाली संस्था शिवनंदम फॉर्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी, खड़ान द्वारा लगातार किसानों के बीच कार्य किया जा रहा है। कभी सब्जी के किसानों के लिए बायोटेक किसान परियोजना अन्तर्गत भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान का निःशुल्क बीज वितरण कराना, सब्जी किसानों को वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण दिलाना, कभी महिलाओं के लिए मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देकर मशरूम का स्पॉन उपलब्ध कराना, कभी मिलेट्स के वैज्ञानिकों को बुलाकर मिलेट्स उत्पादन का प्रशिक्षण व मिलेट्स से रेसिपी बनाने का महिलाओं को प्रशिक्षण दिलाना, तो कभी दलहन-तिलहन का निःशुल्क बीज वितरण कर उत्पादन के लिए किसानों को जागरूक करना — ऐसे अनेक प्रयास संस्था द्वारा किए जा रहे हैं।
इसी क्रम में इस वर्ष सूरजमुखी का 70 किलो हाईब्रिड बीज, कृषि विज्ञान केंद्र चंदौली के सौजन्य से किसानों को निःशुल्क वितरित कर क्षेत्र में सूरजमुखी की खेती कराई गई। मत्स्य पालन व डेयरी पालन का प्रशिक्षण दिलवाना तथा तालाब खुदवाने के लिए किसानों को मत्स्य पालन विभाग से जोड़ना, डेयरी पालन के लिए किसानों को बैंकों से जोड़ना ताकि किसान दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ा सकें — संस्था द्वारा हर संभव मदद दी जा रही है।
एफ.पी.ओ. के निदेशक रमेश सिंह ने अमूल डेयरी का दूध संग्रह केंद्र खुलवाकर किसानों को बेहतर रेट दिलवाने का कार्य किया, जिससे किसानों को बाल्टा वालों के चंगुल से छुटकारा मिला। साथ ही, खाद, बीज व दवा का केंद्र धानापुर में खुलवाकर किसानों को उचित दर पर गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।
इसी क्रम में कृषि एवं ग्रामीण विकास के उत्थान के लिए निरंतर प्रयत्नशील संगठन एफ.ए.ए.आर.डी. फाउंडेशन व अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में विकास खंड धानापुर के किसानों के लिए विगत तीन वर्षों से धान की सीधी बुवाई (डी.एस.आर.) के लिए वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण एवं सफलतापूर्वक बुआई कराई जा रही है।
इस वर्ष 17 जून से बुवाई का कार्य शुरू कर 25 किसानों का कुल रकबा 6.25 हेक्टेयर में धान की सीधी बुवाई कराई गई है। एफ.पी.ओ. के निदेशक रमेश सिंह ने बताया कि इस विधि से खेती करने में लागत कम आती है, पानी की बचत होती है, फसल लगभग 12 से 15 दिन पहले तैयार हो जाती है, खेत की मिट्टी मुलायम बनी रहती है जिससे अगली फसल की पैदावार बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त जो समय की बचत होती है, उसके कारण किसान का खेत पहले खाली हो जाता है और उसमें दलहन-तिलहन की खेती कर अगली फसल जैसे सूरजमुखी, मूंग व सब्जी की खेती समय से की जा सकती है। अर्थात कम से कम साल में तीन फसलें आसानी से ली जा सकती हैं।
इस वर्ष क्षेत्र में अशोक कुमार सिंह, भानु प्रताप मौर्य, वकील बाबू पांडे, संजय मिश्रा, धनंजय यादव, तुषार कांत सिंह, श्याम बिहारी सिंह, अशोक मिश्रा समेत कुल 25 किसानों का डी.एस.आर. कराया गया।