वाराणसी
काशी में 27 जून से सजेगा रथयात्रा का आस्था पर्व

भगवान जगन्नाथ की सवारी का भक्तों को बेसब्री से इंतजार
वाराणसी। काशी की आध्यात्मिक परंपराएं एक बार फिर चरम पर पहुंचने जा रही हैं। 27 जून से 29 जून 2025 तक भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथयात्रा का तीन दिवसीय भव्य आयोजन श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। लगभग 225 वर्षों से अनवरत आयोजित हो रही यह रथयात्रा काशी की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है, जिसे अब केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक गौरव का आयोजन माना जाता है।
आयोजन की शुरुआत 26 जून को आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा की संध्या 4:40 बजे भगवान जगन्नाथ की भव्य डोली यात्रा से होगी। यह यात्रा अस्सी स्थित मंदिर से प्रारंभ होकर अस्सी चौराहा, पद्मश्री चौराहा, दुर्गाकुंड, नवाबगंज, खोजवा बाजार होते हुए द्वारिकाधीश मंदिर पहुंचेगी। महंत द्वारा आरती के उपरांत भगवान का रात्रि विश्राम बेनीराम बाग स्थित रथयात्रा स्थल पर होगा।
रथयात्रा के दिन 27 जून को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथारूढ़ होकर विशाल शोभायात्रा में भक्तों को दर्शन देंगे। यह परंपरा जगन्नाथपुरी से प्रेरित है, जिसे काशी में तेजो ब्रह्मचारी जी ने 225 वर्ष पूर्व प्रारंभ किया था। ट्रस्ट अध्यक्ष पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह और सचिव शैलेश त्रिपाठी ने बताया कि यह आयोजन आज भी उसी श्रद्धा और गरिमा के साथ जारी है।
भगवान के रथ और मंदिर को रंग-बिरंगी सजावट से भव्य रूप दिया गया है। तीनों दिनों तक पंचपहरिया आरती और पारंपरिक भोग की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। आयोजन समिति और जिला प्रशासन के सहयोग से रथयात्रा मेला क्षेत्र में दर्शनार्थियों के लिए सुरक्षा, चिकित्सा और पेयजल सहित सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई हैं।
पत्रकार वार्ता में न्यासी संजीव राय, उत्कर्ष श्रीवास्तव, नवीन श्रीवास्तव, हरीश वालिया, ज्ञानेश्वर जायसवाल, कमलेश तिवारी, डॉ. सुशील मालवीय, मीडिया प्रभारी रामयश मिश्र, यज्ञ नारायण, दिलीप मिश्रा, अमित त्रिपाठी, पवन शर्मा सहित कई प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे।
तीन दिवसीय यह रथयात्रा मेला एक बार फिर काशी की सड़कों को भक्ति, संगीत और श्रद्धा के रंगों में रंगने वाला है। हजारों की संख्या में उमड़ने वाले श्रद्धालुओं की आस्था इस आयोजन को जीवंत और अद्वितीय बना देती है।