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वाराणसी

प्राथमिक विद्यालयों के एकीकरण पर शिक्षक नेता का विरोध: मुख्यमंत्री से आदेश निरस्त करने की मांग

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वाराणसी। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ वाराणसी के वरिष्ठ शिक्षक नेता सनत कुमार सिंह ने प्रदेश में चल रही विद्यालय एकीकरण नीति का कड़ा विरोध करते हुए इसे “शिक्षा विरोधी” और “अमानवीय” बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा द्वारा स्पष्ट किया गया है कि यह नीति उस मूल सोच के विरुद्ध है, जिसके तहत पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की थी। उस अभियान का उद्देश्य 6-14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और सुलभ शिक्षा देना था।

सनत कुमार सिंह ने कहा कि सरकार ने उस समय प्रत्येक गांव और मजरों में प्राथमिक स्कूल और प्रत्येक तीन किलोमीटर की दूरी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय खोलने के लिए भवन समेत सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए थे। लेकिन अब छात्र संख्या कम होने के आधार पर विद्यालयों को समाप्त कर अन्य विद्यालयों में समायोजित करने की योजना बनाई जा रही है, जो पूरी तरह से नीतिगत भ्रम और जनविरोधी कदम है।

उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार स्वयं यह स्वीकार करती है कि छात्र-शिक्षक अनुपात उत्तर प्रदेश में मानक के अनुरूप है, फिर विद्यालयों को बंद करने की क्या आवश्यकता है? यदि कुछ स्थानों पर शिक्षकों की कमी है, तो सरकार को नई भर्तियाँ करनी चाहिए, न कि स्कूलों को बंद कर देना चाहिए।

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सनत कुमार सिंह ने कहा कि परिवार कल्याण कार्यक्रम के कारण जनसंख्या वृद्धि की दर में गिरावट आई है, वहीं विभाग ने मानकों के विपरीत कई निजी विद्यालयों को मान्यता दी हुई है और बहुत से गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय भी अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे हैं, जिससे सरकारी स्कूलों में नामांकन स्वाभाविक रूप से कम हुआ है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यह निर्णय न केवल ग्रामीण बच्चों के शैक्षिक अधिकारों का हनन करेगा बल्कि उनकी सुरक्षा, सुविधा और भविष्य पर भी प्रतिकूल असर डालेगा। बच्चों को 1-2 किलोमीटर दूर दूसरे गांवों में पैदल स्कूल जाना पड़ेगा, जो कि अमानवीय है।

उन्होंने यह भी बताया कि पहले ही करीब 20,000 स्कूलों का मर्जर हो चुका है, जिससे शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर समाप्त हो गए हैं। वर्ष 2015 से किसी भी शिक्षक की पदोन्नति नहीं हुई है और इस नये आदेश से हजारों पद समाप्त हो जायेंगे, जिससे न केवल वर्तमान शिक्षकों की तरक्की रुकेगी बल्कि नवचयनित डीएलएड/बीटीसी अभ्यर्थियों के लिए भी रास्ता बंद हो जाएगा।

अंत में शिक्षक नेता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह किया है कि इस आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए, क्योंकि किसी भी राज्य में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाना और विद्यालयों की संख्या घटाना समाज में गलत संदेश देता है। उन्होंने कहा कि जब ग्रामीणों को अपने गांव का स्कूल बंद होने और दूसरे गांव में स्थानांतरित किए जाने की जानकारी होगी, तो जनआक्रोश अवश्य उत्पन्न होगा।

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“बच्चों का क्या दोष है? वे तो बस अपने गांव में पढ़ाई करना चाहते हैं,” — यह कहते हुए सनत कुमार सिंह ने सरकार से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।

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