चन्दौली
हाय रे! छेड़खानी या दंडनीय अपराध का दुरुपयोग
छेड़खानी में उत्तरोत्तर वृद्धि समाज के लिए घातक
चंदौली (जयदेश)। युवतियां या महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ अथवा उत्पीड़न के मामले में स्थानीय थाने में मुकदमा पंजीकृत होता है। कानूनी तौर पर मुकदमा दर्ज होने के उपरांत उसे अमली जामा पहनाने के लिए विवेचना कर जांच की जाती है। मामला सही हो या गलत प्रथम दृष्टया उसे दोषी मान लिया जाता है। यदि पुलिस विभाग के अभिलेखों पर पैनी नजर डाली जाए तो छेड़खानी के अधिकांश मामले गलत साबित होते हैं।
उल्लेखनीय है कि युवतियों व महिलाओं की सुरक्षा के लिए बना दंडनीय अपराध अब हर उस व्यक्ति के लिए कुठाराघात साबित हो रहा है। जो निर्दाेष होते हुए भी दोषी करार कर दिया जाता है। यदि जनपद चंदौली के थानों पर छेड़खानी से संबंधित मुकदमों का सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाए तो अधिकांश घटनाएं छलावा साबित हो रही हैं। हमारे यहां की न्याय प्रणाली इतनी जटिल है कि जब तक न्याय मिलता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
अभी हाल में ही सकलडीहा कोतवाली से संबंधित स्थानीय पीजी कलेज के मामले में छेड़खानी का मामला दर्ज हुआ है। प्रोफेसर उदय शंकर झा ने बताया कि नकल विहीन परीक्षा के मामले में मैंने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। मेरी ईमानदारी, नैतिकता और आदर्श का कायल पूरा पीजी कालेज है। उदय शंकर झा ने सधे लहजे में जवाब दिया कि पढा़ते-पढ़ाते पूरा समय बीत गया। तब छेड़खानी नहीं की। छेड़खानी तब की जब मैं सेवानिवृत्ति की कगार पर हूं। वर्ष 2027 में मेरा रिटायरमेंट है।
सोचनीय विषय यह है कि ऐसी घटनाओं से हर वर्ग प्रभावित हो रहा है। छेड़खानी की घटनाओं से युवतियों, महिलाओं व समाज को दूषित कर रहे लोगों को सचेत करने की आवश्यकता है। वरना छेड़खानी में उत्तरोत्तर वृद्धि किसी भी समाज के लिए घातक है। बल्कि नेतागिरी व दादागिरी के माध्यम से समाज में मौजूद अवांछनीय तत्व अपनी महती भूमिका समय-समय पर निभाते रहेंगे। यह कहना अतिश्योक्ति नही है कि छेड़खानी के दंडनीय अपराध का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है।