गाजीपुर
रमजान में सहरी करना क्यों है जरूरी ? फायदे जानकर चौंक जायेंगे आप

गाजीपुर। रमजान का पाक महीना बरकतों और रहमतों से भरा होता है, जिसमें सहरी और इफ्तार का विशेष महत्व है। सहरी सूरज निकलने से पहले किया जाने वाला भोजन है, जो दिनभर रोजा रखने के लिए शरीर को आवश्यक ऊर्जा और पोषण प्रदान करता है। यह न सिर्फ कमजोरी और थकान से बचाता है बल्कि ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत मानते हुए सहरी करना अल्लाह की रज़ा हासिल करने का भी जरिया है।
सहरी में ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो धीरे-धीरे पचते हैं और लंबे समय तक ऊर्जा देते हैं, जैसे साबुत अनाज, प्रोटीन युक्त भोजन (अंडे, दही, दालें), फल, सब्जियां और पर्याप्त मात्रा में पानी। सहरी न करने से रोजे के दौरान कमजोरी, सिरदर्द और निर्जलीकरण जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इफ्तार सूर्यास्त के बाद रोजा खोलने का समय होता है, जिसे खजूर या पानी से खोलना सुन्नत है। इफ्तार हल्का और सुपाच्य होना चाहिए, जिसमें फल, सलाद, सूप और पौष्टिक आहार शामिल हों। रात के भोजन को भी हल्का रखना बेहतर होता है ताकि पाचन तंत्र पर अधिक भार न पड़े। इफ्तार करने से शरीर को ताजगी और ऊर्जा मिलती है, जिससे अगले दिन का रोजा रखना आसान हो जाता है।
रमजान एक ऐसा महीना है जिसमें परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इफ्तार करना खुशी और सवाब दोनों को बढ़ाता है। इस पवित्र महीने में गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना, उनके साथ इफ्तार साझा करना सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है।
“आसमान पर नया चांद आया,
सारा आलम खुशी से जगमगाया।
हो रही है सहर और इफ्तार की तैयारी,
सज रही है दुआओं की सवारी।
पूरे हो आपके दिल के हर अरमान,
मुबारक हो आप सबको हमारा रमजान।”