वाराणसी
बिजली के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी, काली पट्टी बांधकर जताया विरोध

वाराणसी, 15 जनवरी: उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं का विरोध दिनोंदिन तेज हो रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के नेतृत्व में भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर पर विरोध सभा आयोजित की गई। कर्मचारियों ने कार्य के दौरान काली पट्टी बांधकर निजीकरण के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया।

यह विरोध अभियान 18 जनवरी तक चलेगा।संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करने और टेंडर नोटिस जारी होने के बाद से कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। उनके अनुसार, आरएफपी दस्तावेज में निजीकरण की शर्तें कर्मचारियों के हितों के खिलाफ हैं, जो उन्हें निजी कंपनियों की दया पर छोड़ने जैसा है।

समिति ने चेतावनी दी कि निजीकरण के बाद 50,000 संविदा कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी, और 26,000 नियमित कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है। आरएफपी दस्तावेज में “अर्ली वीआरएस” जैसी शर्तें यह दर्शाती हैं कि निजी कंपनियां सरकारी कर्मचारियों को रखना ही नहीं चाहतीं।संघर्ष समिति ने यह भी आरोप लगाया कि प्रबंधन विरोध को दबाने के लिए संविदा कर्मियों को हटाने और नियमित कर्मचारियों को निलंबित करने जैसे अवैधानिक कदम उठा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि कर्मचारी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और इसे वापस लेने तक आंदोलन जारी रहेगा।सभा का संचालन अंकुर पांडेय ने किया और अध्यक्षता मदन श्रीवास्तव ने की। सभा को ई. एस.के. सिंह, ई. नरेंद्र वर्मा, आर.के. वाही, ओ.पी. सिंह, रमाशंकर पाल, अनिल कुमार, जयप्रकाश, रामकुमार झा, संतोष वर्मा, मनोज सोनकर और संजय कुमार सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया।कर्मचारियों ने कहा कि यदि प्रबंधन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन और अधिक उग्र होगा।