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वाराणसी

गढ़ौली (कछवां) में आकर्षण का केंद्र होगी 108 फुट ऊंची गौरीशंकर की प्रतिमा

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20 से 22 फरवरी के बीच त्रिदिवसीय महायज्ञ का आयोजन

वाराणसी| अनादि-अनंत-अव्यक्त देवाधिदेव-महादेव शिव-शक्ति अर्थात ‘गौरीशंकर’ ही तो सृष्टि के मूल स्रोत हैं. सर्वदेवमयी हि गौः के भाव की अभिव्यक्ति को शतपथ ब्राह्मण में वर्णित किया गया है-सहस्रो वा एष शतधार उत्स यदगौ: ( अर्थात भूमि पर टिकी हुई जितनी जीवन संबंधी परिकल्पनाएं हैं उनमें सबसे अधिक सुंदर सत्य, सरस, और उपयोगी यह ‘गौ’ ही है). तीर्थानां परम तीर्थं नदीनां परमा नदी माना गया है मोक्षदायिनी ‘गंगा’ को. आकाश, धरती, पाताल तीनों लोकों में प्रवाहित होने वाली इस भवसागरतारिणी गंगा के तट पर वैदिक ऋचाओं से गुजांयमान आश्रम निर्मित हुए, वेदव्यास और महर्षि बाल्मीकी के महाकाव्यों से लेकर कालिदास और तुलसी की रचनाओँ से अनुप्राणित रही हैं मां गंगा. भारत भूमि के जिन हिस्सों में गंगा नदी का प्रवाह नहीं है वहां के भी निवासियों के आवास पर पवित्र गंगाजल उपलब्ध रहता है. राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सनातन धर्म के इन तीनों मूल तत्वों गौ, गंगा और गौरीशंकर के पावन संगम का विचार देवयोग से उपजा काशी से डेढ़ हजार किलोमीटर की दूरी पर स्थित भावनगर, गुजरात में श्रीयुत सुनील ओझा के मनमस्तिष्क में.
कई वर्षों से उनके अंतरतम हृदय मे अंकुरित यह दैवीय विचार मूर्त रूप में परिणित हुआ काशी के गढौली की पावन धरा पर. इस पावन स्वप्न को साकार करने में निमित्त बना ‘ओएस बालककुंदन फाउंडेशन’. देव प्रेरणा से काशी के विश्वेशर धाम व विन्ध्यवासिनी के मध्य क्षेत्र में स्थित कछवां के गढ़ौली में गंगा के रमणीत तट पर एक निर्जन स्थल पर सेना के टेंट में नवरात्र के अवसर पर दुर्गाशप्तशती का पाठ प्रारंभ हुआ 7 अक्टूबर, 2021 से. यहां आयोजित भंडारे में प्रतिदिन सैकड़ों भक्त पहुंचने लगे. नवें दिन 14 अक्टूबर, 2021 को हुए भंडारे में चौदह हजार से अधिक श्रद्धालुओँ का प्रसाद ग्रहण करना देवकृपा का संकेत था जिसके साक्षी बने आयोजकगण अभिभूत हो उठे. 15 जनवरी प्रदोष के अवसर पर शिवमंदिर और गौ मंदिर का शिलान्यास कार्यक्रम आयोजित हुआ. अब गढ़ौली धाम में निर्माण हो रहा है गौ मंदिर का जिसमें गायों से घिरी भगवान श्रीकृष्ण की भव्य मूर्ति उपस्थित है. बालेश्वर शिव मंदिर का निर्माण भी पूर्ण हो चुका है. कुंदन कामधेनु मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर के अतिरिक्त यात्री निवास, भोजनालय, वेद विद्यालय, सुश्रुत आयुर्वेदिक केन्द्र एवं योगध्यान केन्द्र का भी निर्माण प्रचलित है. कार्तिक की पूर्णिमा से गंगा आरती का शुभारंभ हो जाएगा. सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र होगी 108 फिट ऊंची गौरीशंकर की प्रतिमा.
काशी क्षेत्र के गढ़ौली धाम पर आगामी 20 से 22 फरवरी के बीच त्रिदिवसीय ‘प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ’ का आयोजन किया जा रहा है. महायज्ञ के तीसरे दिन पूर्णाहुति एवं शिवलिंगी प्राणप्रतिष्ठा संपन्न होगी. 22 फरवरी को पूज्य रमेश भाई ओझा के श्रीमुख से भागवत कथा का पाठ होगा राष्ट्र प्रेम व आध्यत्मिक चेतना से युक्त इस दिव्य आयोजन में देश भर से श्रद्धालु पधारेंगे. गौ-गंगा-गौरीशंकर के पूजन-अर्चन द्वारा सनातन संस्कृति के उन्नयन एवं प्रभु सेवा के इस उच्चकोटि के भक्तिमय-दिव्य आयोजन में सम्मिलित होना सभी के लिए सौभाग्य का अवसर है.

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