Connect with us

वाराणसी

10 से 15 नवंबर तक 6 दिन मनेगा दीपोत्सव

Published

on

12 नवंबर को दीपावली और 13 को रहेगी सोमवती अमावस्या, 14 तारीख को होगी गोवर्धन पूजा

रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी: आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से दीपोत्सव शुरू हो रहा है। इस साल दीपोत्सव पांच नहीं छह दिन चलेगा, क्योंकि अमवस्या दो दिन रहेगी। हर साल कार्तिक अमावस्या के बाद अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है और फिर भाई दूज मनाई जाती है, लेकिन इस बार दीपावली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन की गैप रहेगी। दीपावली के बाद से ठंड बढ़ने लगती है। इन दिनों में धर्म-कर्म के साथ ही खान-पान में भी सतर्क रखना चाहिए। सेहत सही रहेगी, तभी हम उत्सवों का आनंद ले पाएंगे। सेहत ठीक रहेगी तो जप-ध्यान में भी एकाग्रता बनी रहेगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ठंड के दिनों में हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गर्म दूध का सेवन करें। मौसमी फल खाएं। सूखे मेवों का सेवन करें। रोज सुबह जल्दी उठकर जप-ध्यान करें। अब जानिए दीपोत्सव में किस दिन कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं… धनतेरस (10 नवंबर) धनतेरस पर खासतौर पर भगवान धनवंतरि की पूजा करनी चाहिए। इसी तिथि पर समुद्र मंथन से धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनवंतरि के साथ ही लक्ष्मी जी की भी पूजा करें। शाम को यमराज के लिए दीपक जलाएं। नरक चतुर्दशी (11 नवंबर) दीपोत्सव के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। द्वापर युग में इस तिथि पर श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस को मारा था और उसकी कैद से 16100 महिलाओं को मुक्त कराया था। इस दिन श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करनी चाहिए। नरक चतुर्दशी की शाम को भी यमराज के लिए दीपदान किया जाता है। दीपावली (12 नवंबर) कार्तिक मास की अमावस्या पर ही देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं। त्रेता युग में इसी तिथि पर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। दीपावली पर पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन, कपड़े, खाने-पीने की चीजें, पढ़ाई से जुड़ी चीजें दान करें। दीपावली की रात लक्ष्मी जी के कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। सोमवती अमावस्या (13 नवंबर) इस साल दीपावली के अगले दिन सोमवती अमावस्या रहेगी। इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। जलते हुए कंडों पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी अर्पित करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर पितरों को जल चढ़ाएं। गोवर्धन पूजा (14 नवंबर) गोवर्धन पूजा प्रकृति का आभार मानने का पर्व है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू की थी, क्योंकि उस समय गोवर्धन पर्वत की वजह से गोकुल, वृंदावन के लोगों की जीविका चलाने बहुत मदद करता था। श्रीकृष्ण ने संदेश दिया है कि हमें भी प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। इस दिन बालगोपाल का अभिषेक करें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। गोवर्धन जी की पूजा करें। किसी सार्वजनिक जगह पर छायादार पेड़ का पौधा लगाएं। भाई दूज (15 नवंबर) भाई दूज के संबंध मान्यता है कि इस तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। माना जाता है कि भाई दूज पर जो भाई अपनी बहन के यहां भोजन करते हैं, उन्हें यमराज और यमुना जी की कृपा से अभय दान मिलता है यानी ऐसे लोगों को अनजाना भय सताता नहीं है। कार्यों में आ रही दिक्कतें दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। भाई-बहन के बीच परस्पर स्नेह बना रहता है।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa