अपराध
नौकरी और पैसों का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने में 12 को आजीवन कारावास

चार अन्य लोगों को 10 साल की कड़ी कैद
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत ने गैर मुस्लिम मूक बधिर, महिलाओं, बच्चों एवं कमजोर वर्ग के लोगों को पैसा व नौकरी का प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने के मुख्य आरोपी मौलाना मो. उमर गौतम समेत 12 दोषसिद्ध अभियुक्तों को एटीएस के विशेष न्यायाधीश ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
इसके अलावा चार अन्य दोषियों को 10-10 वर्ष कैद की सजा सुनायी। कोर्ट ने धर्म परिवर्तन के पीड़ित आदित्य गुप्ता और मोहित चौधरी को दो-दो लाख रुपये प्रतिकर देने का आदेश दिया है। अन्य पीड़ित नितिन पंत एवं परेश लीलाधर हारोड़े के प्रतिकर निर्धारण के लिए पत्रावली जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजने का आदेश दिया है।
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मोहम्मद उमर गौतम, मौलाना कलीम सिद्दीकी, इरफान शेख, सलाउद्दीन जैनुद्दीन शेख, प्रकाश रामेश्वर कावड़े उर्फ आदम, भुप्रिय बन्दो उर्फ अर्सलान मुस्तफा, कौशर आलम, फराज वाबुल्लाशाह, धीरज गोविंद राव जगताप, सरफराज अली जाफरी, काजी जहांगीर और अब्दुल्ला उमर को भारतीय दंड संहिता की धारा 121 ए (राष्ट्रद्रोह) के तहत आजीवन कारावास और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी।
आदेश के मुताबिक, मामले में बाकी चार अभियुक्तों मोहम्मद सलीम, राहुल भोला, मन्नू यादव तथा कुणाल अशोक चौधरी को ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन (प्रतिषेध) अधिनियम’ की धारा-पांच के तहत 10-10 वर्ष की कैद और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी।
उप निरीक्षक विनोद कुमार ने 20 जून 2021 को इस मामले में लखनऊ के एटीएस थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इन सभी आरोपियों पर तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 120 बी, 121ए, 123, 153ए, 153बी, 295ए और 298 के साथ ही उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा 3/5/8 के तहत आरोप लगाए गए थे।