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आज 2024 का अंतिम दिन: नये साल के लिए लें प्रेरणा, धर्मग्रंथों से सीखें सफलता के सूत्र

वाराणसी। आज 2024 का अंतिम दिन है। कल से नया साल 2025 शुरू हो जाएगा। बीते वर्ष की गलतियों से सबक लेते हुए नए साल को बेहतर बनाने के संकल्प का यह सही समय है। धर्मग्रंथों की शिक्षाओं से सीख लेकर हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
गीता का उपदेश: गलतियों से सीखने की प्रेरणा
महाभारत में अर्जुन जब मोह में फंसकर युद्ध से पीछे हटने लगे, तो श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश देकर उन्हें कर्म का मार्ग दिखाया। श्रीकृष्ण ने समझाया कि गलतियां होना सामान्य है, लेकिन उनसे सीखकर आगे बढ़ने वाला व्यक्ति ही सफल होता है।
कौरवों ने अपनी गलतियों से सबक नहीं लिया, जिसका परिणाम उनकी हार और वंश के विनाश में हुआ। वहीं, पांडवों ने गलतियों को स्वीकार कर श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में आगे बढ़ते हुए जीत हासिल की। यह सीख हमें बताती है कि गलतियों को सुधारकर धर्म के अनुसार चलने से सफलता अवश्य मिलती है।
गलत संगत का असर: कर्ण की कहानी से सबक
महाभारत के कर्ण, जो महान धनुर्धर थे, अपनी गलत संगत के कारण पतन का शिकार हुए। अधर्मी दुर्योधन और शकुनी के साथ रहकर कर्ण ने अपने सभी गुणों को व्यर्थ कर दिया।
श्रीकृष्ण ने उन्हें सही राह दिखाने की कोशिश की, लेकिन कर्ण ने दुर्योधन का साथ नहीं छोड़ा और अंत में पराजित हुए। यह हमें सिखाता है कि गलत संगत न केवल हमारे विचारों को नकारात्मक बनाती है, बल्कि हमारे कार्यों और परिणामों पर भी विपरीत प्रभाव डालती है।
सुग्रीव की गलती: वचन का महत्व
रामायण में सुग्रीव, बालि का वध होने के बाद राजा बने। लेकिन वे अपने वचन—सीता की खोज में मदद का—भूल गए। लक्ष्मण ने उन्हें इस भूल का अहसास कराया, जिसके बाद सुग्रीव ने अपनी गलती सुधारी और वानर सेना को सीता की खोज में भेजा।
यह कथा सिखाती है कि सफलता के उत्सव में अपने कर्तव्यों को भूलना नहीं चाहिए। गलती होने पर उसे तुरंत सुधारना ही आगे बढ़ने का सही मार्ग है।
नए साल के लिए प्रेरणा
नया साल अपने साथ नई उम्मीदें और संभावनाएं लेकर आता है। महाभारत और रामायण की इन कहानियों से प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन में सुधार कर सकते हैं। गलतियों को स्वीकार करें, उन्हें सुधारें, सही संगत चुनें, और अपने वचनों का पालन करें। यही सूत्र हमें 2025 में सफलता और सुख-शांति दिला सकते हैं।