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“संविधान दिवस पूरे देश के नागरिकों के लिए गर्व और जिम्मेदारी का दिन” : फरीदा

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मऊ। भगवान मानव कल्याण समिति द्वारा संचालित ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत मंगलवार को संविधान दिवस के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन घोसी नगर के मझवारा मोड़ स्थित झारखण्डे महादेव धर्मशाला में किया गया जहां संविधान उसके मूल्य उद्देश्य और नागरिकों के कर्तव्यों पर चर्चा हुई।

परियोजना निदेशक पूनम सिंह ने स्वागत भाषण देकर गोष्ठी की शुरुआत की। उन्होंने “मेरे भारत का संविधान सारी दुनिया से न्यारा है” गीत गाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। परियोजना समन्वयक अरशद ने बताया कि 26 नवंबर 1949 का दिन भारत के इतिहास में बेहद खास है, जब भारतीय संविधान को अपनाया गया था।

इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाने की परंपरा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 2015 में शुरू की गई थी।

उन्होंने बताया कि भारत का संविधान देश के लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समतावादी ढांचे का आधार है। यह दस्तावेज न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे मूल सिद्धांतों पर आधारित है और पिछले सात दशकों से सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तनों में मार्गदर्शक रहा है।

संविधान के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह देश के संचालन की रूपरेखा तय करता है जिसमें नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य, कानून की संरचना और सरकार के विभिन्न अंगों की जिम्मेदारियां शामिल हैं।कार्यक्रम में संस्था की कार्यकर्ता फरीदा ने कहा कि संविधान दिवस राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है।

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विविधता से भरे इस देश में विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग एक संविधान के दायरे में आते हैं जो समान नियम और प्रावधान सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि यह दिन केवल सरकार या राजनीतिक दलों के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के नागरिकों के लिए गर्व और जिम्मेदारी का दिन है।

एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सबका कर्तव्य है कि इस दिन को उत्साहपूर्वक मनाएं और संविधान के महत्व को समझें।

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