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वाराणसी

जातीय जनगणना से वंचित समाज को मिलेगा न्याय: अशोक विश्वकर्मा

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वाराणसी। ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि 74 वर्षों बाद देश में होने जा रही जातीय जनगणना ऐतिहासिक सामाजिक न्याय की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उन्होंने बताया कि विपक्षी दलों के वर्षों के संघर्ष के परिणामस्वरूप मोदी सरकार ने जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया, जिससे वंचित समुदायों को सामाजिक और आर्थिक योजनाओं का वास्तविक लाभ मिल सकेगा।

अशोक विश्वकर्मा ने कहा कि जातीय जनगणना से आरक्षण नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने और ऐतिहासिक सामाजिक असमानताओं को उजागर करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने इसे एक ऐसा कदम बताया, जिससे नीति निर्माताओं को समाज के सबसे उपेक्षित तबकों की पहचान करने और उनके लिए लक्षित योजनाएं बनाने में सुविधा होगी।

उन्होंने बताया कि जातिगत जनगणना का उपयोग सामाजिक-आर्थिक विकास, आरक्षण, सामाजिक न्याय और संसाधन आवंटन जैसे अहम मामलों में किया जाएगा। 1931 के बाद पहली बार इस प्रकार की व्यापक गणना हो रही है, जबकि 1951 से अब तक केवल अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की गणना होती रही है।

अशोक विश्वकर्मा ने कहा कि देश में जातीय जनगणना दो चरणों में की जाएगी। इसका पहला चरण एक अक्टूबर 2026 से और दूसरा चरण एक मार्च 2027 से प्रारंभ होगा। इस जनगणना से न केवल जनसंख्या के स्वरूप का वास्तविक आकलन होगा, बल्कि सामाजिक परिवर्तन, संसाधनों की उपलब्धता और परिसीमन की दिशा भी तय हो सकेगी।

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