गाजीपुर
ईद-उल-फितर से पहले फितरा अनिवार्य, गरीबों की मदद से मिलती है सवाब

गाजीपुर के बहरियाबाद में रमज़ान के पाक महीने के दौरान फितरा (जकात-उल-फित्र) अदा करने की अहमियत पर जोर दिया जा रहा है। इस्लाम में फितरा देना हर मोमिन के लिए वाजिब माना गया है, ताकि गरीब और जरूरतमंद भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें।
फितरा एक अनिवार्य दान है, जिसे ईद-उल-फितर की नमाज से पहले अदा करना जरूरी होता है। यह न सिर्फ जरूरतमंदों की मदद करने का जरिया है, बल्कि रमजान के दौरान हुई किसी भी भूल-चूक को दूर करने का एक तरीका भी माना जाता है। इस्लामिक परंपरा के अनुसार, हर परिवार के मुखिया को अपने और अपने आश्रितों की ओर से फितरा अदा करना आवश्यक होता है। फितरा की राशि अनाज जैसे गेहूं, जौ, खजूर या उसकी मौजूदा बाजार कीमत के बराबर होती है।
हदीस में भी इसका जिक्र है कि जो व्यक्ति फितरा अदा नहीं करता, उसकी ईद की नमाज मुकम्मल नहीं होती। पैगंबर मोहम्मद ने कहा कि रमजान में रखे गए रोजे तब तक अल्लाह तक नहीं पहुंचते जब तक फितरा अदा न किया जाए। इसलिए हर सक्षम मुसलमान को चाहिए कि वह अपनी हैसियत के अनुसार फितरा निकाले और जरूरतमंदों तक यह अमानत पहुंचाए।
फितरा अदा करना न सिर्फ एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि इससे समाज में भाईचारे और समानता का संदेश भी जाता है। इस पाक महीने में दिया गया यह दान अल्लाह की रहमत पाने का जरिया बनता है।