वाराणसी
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने रथयात्रा पर्व पर किया आध्यात्मिक नवाचार

वाराणसी। पुरी (ओडिशा) में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली भगवान श्री जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा भारत की सबसे प्राचीन धार्मिक परंपराओं में से एक मानी जाती है। यह पावन यात्रा भगवान श्री जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के नगर भ्रमण का प्रतीक होती है, जो आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू होकर नौ दिनों तक चलती है।इसी अनुपम परंपरा के अनुकरण में 27 जून 2025 को काशी नगरी में भी रथयात्रा उत्सव भक्ति और श्रद्धा से परिपूर्ण वातावरण में मनाया गया।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा इस अवसर पर एक विशेष नवाचार करते हुए श्री काशी धाम स्थित श्री सत्यनारायण विग्रह में भगवान विष्णु की शास्त्रोक्त पूजा एवं भक्ति आयोजन संपन्न हुआ। वर्ष 2025 अनेक वैश्विक चुनौतियों – प्राकृतिक आपदाओं, संघर्षों और सामाजिक विघटन – का साक्षी रहा है।
इन विषम परिस्थितियों में विश्व शांति, जनकल्याण और मानवता के हित में सामूहिक प्रार्थना की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।इन्हीं भावनाओं को केंद्र में रखकर काशी में यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संदेश के रूप में प्रस्तुत किया गया।
सनातन संस्कृति की आत्मा मानी जाने वाली काशी की भूमि से यह संदेश समस्त मानवता के कल्याण हेतु समर्पित रहा।श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास का उद्देश्य इस आयोजन को आने वाले वर्षों में एक वार्षिक परंपरा के रूप में विकसित करना है, जिससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु काशी की दिव्यता एवं आस्था से जुड़ सकें।॥ श्री काशीविश्वनाथो विजयतेतराम ॥