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अ.भा. राजभाषा सम्मेलन का दीप प्रज्वलित कर आमित शाह ने किया विधिवत उद्घाटन

वाराणसी। भारत के गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को बड़ा लालपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल के ऑडिटोरियम सभागार में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित 13-14 नवम्बर (दो दिवसीय) अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का दीप प्रज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री आमित शाह ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पहली बार राजधानी से बाहर हा रहा है। यह नई शुरुआत है। आजादी का अमृत महोत्सव महत्वपूर्ण है। यह भविष्य के भारत के लिए संकल्प का समय है। यह संकल्प होना चाहिए कि हिंदी का वैश्विक स्वरूप हाे। स्थानीय भाषा और हिंदी पूरक है। राजभाषा विभाग की जिम्मेदारी है कि वह स्थानीय भाषा का भी विकास करे।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि काशी हमेशा विद्या की राजधानी है। काशी सांस्कृतिक नगरी है। देश के इतिहास को काशी से अलग कर नहीं देख सकते। काशी भाषाओं का गोमुख है। हिंदी का जन्म काशी से हुई है। 1868 में काशी से ही शिक्षा हिंदी में हुई। हिंदी के उन्नयन के लिए काशी से शुरुआत हुई। पहली पात्रिका काशी से ही शुरू हुई। मालवीय जी ने हिंदी से पढ़ाई की चिंता की। उन्होंने कहा कि तुलसी दास को कैसे भूला जा सकता है, जिन्होंने यदि राम चरित मानस नहीं लिखा होता तो आज रामायण लोग भूल जाते। अनेक हिंदी के विद्वानों ने यहीं से भाषा को आगे बढ़ाया। हिंदी भाषा में विवाद खड़ा किया गया। एक समय ऐसा आएगा कि लोग हिंदी नहीं बोल सकेंगे तो लघुता महसूस होगी। जो देश अपनी भाषा को खो देता है तो वह संस्कृति को खो देता है। हिंदी अक्षर शब्द का प्रयोग है अर्थात जिसका कभी क्षरण नहीं हो सकता।
इस अवसर पर भारी उद्योग मंत्री डॉ0महेंद्र नाथ पांडे, गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उपसभापति हृदय नारायण दीक्षित, उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री अनिल राजभर, पर्यटन मंत्री डॉ0नीलकंठ तिवारी, स्टाम्प मंत्री रविंद्र जायसवाल, विधायक सौरभ श्रीवास्तव, विधायक डॉ0अवधेश सिंह, विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह सहित
सांसदगण, सचिव राजभाषा, संयुक्त सचिव राजभाषा, कमिश्नर दीपक अग्रवाल, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के अलावा पूरे देश के अलग-अलग राज्यों से आये विद्वानगण उपस्थित रहे।