मिर्ज़ापुर
“अपमान से बचने के लिए सही समय पर लेना चाहिए निर्णय” : स्वामी नारायणानन्दतीर्थ महाराज

मिर्जापुर। नगर स्थित सिटी क्लब के टीम शिवाय फाउंडेशन ट्रस्ट और अन्नपूर्णा प्रसादम् द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन, अनन्त विभूषित काशी धर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानन्दतीर्थ ने गहन और प्रेरणादायक उपदेश दिए। उन्होंने कथा के दौरान यह संदेश दिया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वहां आपका या आपके गुरु का अपमान न हो। उन्होंने भगवान शिव की बात न मानने पर सती के पिता के घर जाने से होने वाले अपमान का उदाहरण देते हुए यह समझाया कि कभी भी अपमान से बचने के लिए हमें अपने निर्णय सही समय पर लेने चाहिए।
स्वामी जी ने ध्रुव चरित्र का उल्लेख करते हुए बताया कि जब ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि ने उसे अपमानित किया, तब उसकी मां सुनीति ने धैर्य और संयम बनाए रखा, जिससे एक बड़े संकट से बचाव हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं होती, और बचपन में ही भक्ति को अपनाना चाहिए, क्योंकि बचपन का मन सांचे की तरह होता है, जिसे जैसा चाहें वैसा आकार दिया जा सकता है।
कथा में भगवान श्रीनृसिंह के रूप में प्रगट होने के प्रसंग के माध्यम से स्वामी जी ने भक्त प्रह्लाद की अविचल श्रद्धा का उदाहरण दिया, और बताया कि भगवान ने लोहे के खंभे से प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया, ताकि प्रह्लाद की आस्था पूरी हो सके।
इस सात दिवसीय भागवत कथा के मुख्य यजमान बंशीधर दुबे सपरिवार रहे और कथा का आयोजन काशी धर्मपीठ के वैदिक आचार्यों द्वारा विधिवत पूजन के साथ किया गया। कथा का लाइव प्रसारण संतवाणी चैनल और काशीधर्मपीठम् यूट्यूब चैनल पर किया गया, ताकि अधिक से अधिक लोग इस दिव्य ज्ञान का लाभ उठा सकें। कथा स्थल पर अरुण दुबे, आशीष दुबे, अनिल दुबे, चंद्र प्रकाश त्रिपाठी, देवेश गोयल, महेंद्र पांडेय, जगत् नारायण दुबे, रविन्द्रनाथ (मुन्ना) दुबे सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस कथा के माध्यम से जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानन्दतीर्थ जी ने जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य, भक्ति, और संयम की शक्ति को प्रकट किया, जो हमें हर परिस्थिति में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।