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धर्म-कर्म

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

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रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

हिंदू पञ्चाङ्ग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या/सर्वपितृ अमावस्या या अश्विन अमावस्या भी कहते हैं।
वस्तुतः इसी दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है। यानी कि इसी दिन पितृ लोक से आए हुए हमारे पूर्वज वापस अपने लोक लौट जाते हैं।
वस्तुतः जो कि इस वर्ष 14 अक्टूबर शनिवार को सर्वपितृ अमावस्या मनाया जाएगा।

इस अमावस्या की सबसे विशेष बात यह है कि यह पितृपक्ष में आता है जिस के चलते इस अमावस्या का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
उक्त बातें आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केन्द्र के संस्थापक साहित्याचार्य ज्योतिर्विद आचार्य चन्दन तिवारी ने बताया कि वस्तुतःअन्य अमावस्या से क्यों विशेष माना जाता है आश्विन अमावस्या?

वस्तुतः अगर कोई भी व्यक्ति पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों का श्राद्ध ना कर पाए या किसी कारणवश भूल जाये, तो उस व्यक्ति को सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
इस दिन अपने पितरों को विदा करने का विधान बताया गया है।
आश्विन अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
उन्हें दान आदि दिया जाता है जिससे तृप्त होकर हमारे पितृ अपने लोक लौटने से पहले अपने पुत्र-पौत्रों और परिवार को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देकर जाते हैं।

आश्विन अमावस्या व्रत और धार्मिक मान्यताएं
वस्तुतः मान्यता है कि आश्विन अमावस्या के दिन किसी भी पवित्र नदी, जलाशय, या कुंड में स्नान किया जाता है।
इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण आदि किया जाता है।

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इसके बाद शाम के समय दीपक जलाया जाता है और पूड़ी और अन्य खाने की वस्तुएं दरवाजे पर रखी जाती हैं। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि, वापस अपने लोक लौटते वक्त हमारे पितृ भूखे ना रहे और दीपक की रोशनी में उन्हें वापस अपने लोक जाने का रास्ता साफ साफ नजर आए।

वस्तुतः अगर आप पूरे श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों का तर्पण नहीं कर पाए हैं तो आश्विन अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण कर सकते हैं। इस दिन भूले-भटके पितरों के नाम से किसी भी जरूरतमंद को अपनी यथाशक्ति के अनुसार भोजन कराएं तो पुण्य मिलता है।

श्राद्धविधि

सर्वपितृ अमावस्या को सुबह स्नान आदि कर गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें।

इसके बाद अपने पितरों के लिए शुद्ध भोजन तैयार करें।

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पितरों के लिए बनाए जाने वाले भोजन में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल ना करें।

इस दिन घर पर किसी विद्वान ब्राह्मण को बुलाए उन्हें भोजन कराएं और अपनी इच्छाशक्ति शक्ति से उन्हें दान दें।

इसके बाद शाम के समय 2, 5 या फिर 16 दीपक जलाएं।

अमावस्या के दिन अवश्य करें ये विशेष उपाय

किसी भी अमावस्या पर दक्षिणा विमुख होकर अपने दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना शुभ माना गया है।

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इस दिन पितृ स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए।

इसके अलावा अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर काले तिल, चीनी, चावल और फूल अर्पित करें और ॐ का जाप करें, इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।

पितृ दोष में शुभ फल की प्राप्ति के लिए नीलकंठ स्त्रोत का पाठ करना बेहद शुभ बताया गया है।

इसके अलावा पंचमी तिथि को सर्प सूक्त पाठ और पूर्णमासी के दिन श्री नारायण कवच का पाठ करना चाहिए।

इसके अलावा ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देना और भोजन कराना चाहिए।

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इस दिन शिवालय में जाकर भगवान शिव को कच्चे दूध दही से उनका अभिषेक कराना चाहिए।

अमावस्या के दिन सुख सौभाग्य और धन संपत्ति वैभव के लिए अगर यह उपाय किए जाए तो आपका जीवन सुखमय व्यतीत हो सकता है

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