गाजीपुर
बहरियाबाद और आसपास के क्षेत्रों में बकरीद की तैयारियां जोरों पर

गाजीपुर। बहरियाबाद और आसपास के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ईद-उल-अजहा (बकरीद) को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। क्षेत्र की तमाम मस्जिदों में सफाई कार्य पूरा कर लिया गया है, साथ ही नमाज़ के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा चुकी हैं। पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
बकरीद इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे ‘कुर्बानी का त्योहार’ भी कहा जाता है। यह हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की उस ऐतिहासिक कुर्बानी की याद में मनाया जाता है, जिसमें उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने सबसे प्रिय पुत्र इस्माइल को कुर्बान करने का निर्णय लिया था। किंतु अल्लाह की रहमत से अंतिम समय में इस्माइल की जगह एक बकरा कुर्बान किया गया। इस्लाम में इसे आस्था, समर्पण और त्याग का प्रतीक माना जाता है।
इस अवसर पर मुसलमान जानवरों मुख्यतः बकरा, भेड़ अथवा ऊंट की कुर्बानी करते हैं। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि अपने स्वार्थ, लालच और अहम को त्यागने की भावना का प्रतीक भी है। कुर्बानी का मांस तीन भागों में बांटा जाता हैं एक हिस्सा गरीबों को, दूसरा रिश्तेदारों और पड़ोसियों को, जबकि तीसरा हिस्सा स्वयं के लिए रखा जाता है। यह परंपरा समाज में समानता, भाईचारे और उदारता का संदेश देती है।
बकरीद इस्लामी पंचांग के 12वें माह धू-अल-हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाई जाती है, जो रमज़ान के लगभग 70 दिन बाद आता है। इसकी तिथि चांद के दीदार पर निर्भर करती है।
त्योहार के दिन सुबह विशेष नमाज़ अदा की जाती है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद देते हैं। इस अवसर पर सामाजिक सौहार्द और धार्मिक आस्था का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
क्षेत्र के नागरिकों ने प्रशासन से त्योहार को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने हेतु पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने की अपील की है। स्थानीय मस्जिदों व इमामबाड़ों में भीड़ प्रबंधन और साफ-सफाई को लेकर सजगता बरती जा रही है।