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वाराणसी

40 हजार बेटियों के पढ़ाई की राह हुई आसान, 15 हजार तक की धनराशि का हुआ भुगतान

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मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना से अभिभावकों के भी सपने हो रहे साकार

पात्र बालिका-किशोरियों को छह चरणों में दी जा रही प्रोत्साहन राशि

रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी| सेवापुरी की रहने वाली 15 वर्षीया दिव्या के पिता भले ही कृषि मजदूर थे लेकिन उनका सपना बेटी को पढ़ा-लिखा कर टीचर बनाने का था। पिता के अचानक निधन के बाद एक बार ऐसा लगा कि दिव्या की पढ़ाई अब रुक जाएगी। इसी बीच उन्हें मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की जानकारी मिली। उन्होंने इसके लिए आवेदन किया। दिव्या के खाते में तीन हजार रुपये आये। गवर्नमेंट हाई स्कूल में कक्षा 9वीं की छात्रा दिव्या बताती है कि योजना से मिले पैसे से उसने किताबें, स्टेशनरी आदि खरीदी, शेष राशि उसने पॉकेट खर्च के लिए रखा। अब खूब पढ़ेगी और टीचर बनकर मां-बाप के सपनों को साकार करेगी।
रोहनिया की आरती के ऑटोचालक पिता उसे आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाना नहीं चाहते थे। आरती की मां सोनारा देवी बेटी को हर हाल में आगे की शिक्षा दिलाने पर अड़ी थी। वह नहीं चाहती थीं कि उनकी बेटी भी उनके जैसी अनपढ़ रह जाये। तभी सोनारा देवी की मुलाकात इलाके की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से हुई। इसकी सलाह पर उन्होंने आरती के लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना का फार्म भरा। इसके तहत बेटी को मिले पांच हजार की प्रोत्साहन राशि से फीस जमा कर उसका स्नातक में दाखिला कराया। सोनारा कहती हैं, यदि समय से आर्थिक सहायता नहीं मिलती तो शायद उनकी बेटी की पढ़ाई अब तक छूट चुकी होती।
यह कहानी सिर्फ दिव्या और आरती की ही नहीं है उन हजारों बालिकाओं और किशोरियों की है जिनके लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना एक वरदान साबित हो रही है। योजना के तहत मिली प्रोत्साहन राशि से वह आगे की पढ़ाई पूरी कर रही हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि बालिकाओं को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करने तथा उनके भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना शुरू की गयी है। इसके तहत जिले में अबतक 39725 बालिकाओं, किशोरियों को कन्या सुमंगला योजना योजना से लाभान्वित किया जा चुका है। इनमें चालू वित्तीय वर्ष में लगभग 10032 बेटियां शामिल हैं।
छह चरणों में मिलती है आर्थिक सहायता
जिला महिला कल्याण अधिकारी अंकिता श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना में बालिकाओं को 15 हजार रुपये की आर्थिक सहायता छह चरणों में प्रदान की जाती है। इसके तहत बालिका के जन्म होने पर दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता उसके परिवार को दी जाती है। एक वर्ष के भीतर पूर्ण टीकाकरण पर एक हजार रुपये दिये जाते हैं। इस बालिका को कक्षा एक में प्रवेश के समय दो हजार, कक्षा छह में प्रवेश के समय दो हजार व कक्षा नौ में प्रवेश के लिए तीन हजार रुपये मिलते है। इतना ही नहीं जब यह बेटी 12वीं पास कर स्नातक अथवा दो वर्षीय या उससे अधिक के डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेती है तो उसे पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
पात्रता के लिए अर्हताएं-
लाभार्थी का परिवार उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए। उसके परिवार की कुल आय अधिकतम तीन लाख रुपये हो। किसी भी परिवार की अधिकतम दो बच्चियों को ही योजना का लाभ मिल सकेगा।
ऐसे करें आवेदन-
इस योजना का लाभ पाने के लिए बालिका स्वयं अथवा उसके माता/पिता/अभिभावक आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन के लिए कॉमन सर्विस सेंटर /साइवर कैफे अथवा खुद के स्मार्ट फोन से https://mksy.up.gov.in लॉगिन कर आवेदन किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में भी सम्पर्क किया जा सकता है।

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