वाराणसी
सावधान छोटी सी असावधानी हो सकती है जानलेवा पूर्वांचल के छोटे बच्चों में तेजी से फैल रहा आपका कैंसर
रिपोर्ट प्रदीप कुमार
⚡वाराणसी. यूं तो कैंसर का नाम सुन कर ही दिल कांप उठता है और अगर ये कैंसर मासूम बच्चे में हो जाए तो उन माता-पिता पर क्या गुजरेगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन ये सत्य है कि इन दिनों पूर्वांचल के बच्चों में एक तरह का कैंसर तेजी से फैल रहा है जो बच्चे की जान भी ले सकता है। ये कैंसर है आंखों का कैंसर। लेकिन जानकारों का कहना है कि अगर इसका इलाज समय रहते हो जाए तो ये ठीक भी हो सकता है। इस कैंसर पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नेत्र रोग विभाग में इस पर काम चल रहा है।
पांच साल तक के बच्चों में होता है ये कैंसर
⚡इस संबंध में नेत्र कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि ये रोग पांच साल तक के बच्चों में होता है। बताते हैं कि जन्म लेने वाले प्रत्येक 20 हजार बच्चों में से एक को ये रोग होता है। पूर्वांचल में इस रोग से पीड़ित बच्चों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। बीएचयू के नेत्र कैंसर विशेषज्ञ डॉ आर पी मौर्या की मानें तो विगत आठ साल में ऐसे 294 केस बीएचयू अस्पताल में आ चुके हैं जिनमें 61.2 फीसद लड़के हैं। डॉ मौर्या के मुताबिक इन 294 केस में से 69.7 फीसद ऐसे बच्चे हैं जिनकी उम्र दो साल से भी कम है।
बीएचयू के नेत्र व बाल रोग विभाग के आंकड़े
⚡डॉ. मौर्य बताते हैं कि पिछले 8 साल में रेटिनोब्लास्टोमा के 294 मरीज सर सुंदरलाल चिकित्सालय के नेत्र और बालरोग विभाग में आए हैं। इसमें 2014 में 36, 2015 में 44, 2016 में 54, 2017 में 56, वर्ष 2018 में 46, 2019 में 20, 2020 में 8, 2021 में 22 तथा 2022 में अबतक 10 बच्चों का पंजीकरण हो चुका है।
नेत्र कैंसर विशेषज्ञ डॉ आर पी मैर्या, बीएचयूइस आंख के कैंसर को रेटिनोब्लास्ट्रोमा कहते हैं
डॉ मौर्या बताते बचहैं कि बच्चों में पाए जाने वाले इस आंख के कैंसर का नाम रेटिनोब्लास्ट्रोमा है। इसमें बच्चे की आंख की पुतली के पीछे सफेद या पीली चमक दिखने लगती है। ऐसा होते ही अगर माता-पिता बच्चे को कुशल नेत्र चिकित्सक के पास ले जाएं तो इसका इलाज शुरू हो जाएगा और बच्चा जल्द स्वस्थ भी हो जाएगा, अन्यथा ये जानलेवा भी हो सकता है। वो बताते हैं कि दुनिया में हर साल इस रोग के लगभग 7000 नए रोगी मिल रहे हैं। इसमें से सबसे अधिक भारत के है। ठीक समय इलाज न होने पर मौत भी हो सकती है।
ये जेनेटिक बीमारी है
⚡बताते हैं कि रेटिनोब्लास्टोमा जेनेटिक बीमारी है जिसमें रेटिना के सेल्स डिविजन (कोशिकाओं का विकास करने वाले जींस) की संख्या 13 में दिक्कत आती है। इससे सेल डिविजन काफी तेज हो जाता है और जल्द ही रेटिना में कैंसर बन जाता है। इसका एक-चौथाई असर नेक्स्ट जनरेशन में चला जाता है।
ऐसे की जाती है जांच
⚡यदि ट्यूमर बड़ा हो तो आंख का अल्ट्रासाउंड टेस्ट, ब्रेन और आर्बिट का सिटी स्कैन या एमआरआई से कराया जाता है। शरीर के दूसरे हिस्सों में कैंसर के फैलाव को जानने के लिए पेटस्कैन, पेट का अल्ट्रासाउंड कराने के साथ ही रीढ़ से पानी निकालकर एक टेस्ट किया जाता है।
रेटिनोब्लास्ट्रोमा के लक्षण
⚡वो बताते हैं कि 56 प्रतिशत बच्चों की आंखों में पहले कैट्स आई रिफ्लेक्स (ल्यूकोकोरिया) से शुरूआत होती है। इसमें आंख की पुतली के पीछे बिल्ली की आंख की तरह सफेद या पीली चमक दिखने लगती है। 20 प्रतिशत बच्चों की आंखों में तिरछापन या भेगापन आ जाता है। कैंसर बढ़ने के साथ आंख बाहर की ओर निकल जाती है, जिसे प्रोप्स्टोसिस कहते हैं। इसका समय रहते इलाज न हुआ तो कैंसर आप्टिक नर्व के माध्यम से पूरे मस्तिष्क में फैल जाता है। फिर रक्त के माध्यम से दिमाग और पूरे शरीर की दूसरी हड्डियों में भी फैल सकता है। इससे बच्चे की जान भी जा सकती है।
बच्चे की आंख में दिखे ऐसे लक्षण तो हो जाएं सावधान
-आंख के पीछे दिखे सफेद चमक तो जाएं नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास
-तत्काल नेत्र कैंसर विशेषज्ञ से आंखों की जांच कराएं
-बच्चे के माता-पिता और सगे भाई-बहन के आंखों की भी जांच कराएं
-इलाज के बाद नियमित तौर पर फालोअप जांच जरूर कराते रहें
ट्यूमर बड़ा हो तो इन्यूक्लएशन सर्जरी
⚡छोटे आकार के कैंसर के लिए लेजर थर्मोथेरेपी या क्रायोथेरेपी (ट्यूमर को बर्फ से फ्रीज करना) की जाती है जबकि बड़े ट्यूमर के लिए रेडिएशन थेरेपी। रेडिएशन थेरेपी में रेडियोएक्टिव किरणों से ट्यूमर की सेकाई होती है। रेटिनोब्लास्टोमा को समूल नष्ट करने के लिए कैंसररोधी दवाएं (कीमोथेरेपी) भी दी जातीं हैं, जो ट्यूमर तेजी से फैल रहे हैं उन्हें नियंत्रित करने को इन्यूक्लएशन सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इसमें नेत्र गोलक और आप्टिक नर्व को काटकर निकाल दिया जाता है। फिर आंख की खाली जगह को भरने के लिए आर्बिटल इम्प्लांट करते हैं। फिर आगे चल कर कृत्रिम आंख लगा दी जाती है।
इन दिनों बीएचयू में चल रहा जागरूता सप्ताह
⚡बच्चों के इस नेत्र कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने को इन दिनों बीएचयू में जागरूकता सप्ताह चलाया जा रहा है।