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वाराणसी

बच्चों को डायरिया से है बचाना तो ओआरएस घोल जरूर पिलाना

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जिले में 15 जून तक चलेगा सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा

वाराणसी| बच्चों में डायरिया (दस्त) की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए 01 जून से दस्त नियंत्रण पखवाड़े की शुरुआत की गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि भीषण गर्मी और चढ़ते पारे के साथ-साथ गर्मियों में होने वाली बीमारियों ने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। डायरिया ऐसी ही एक बीमारी है जो पूरे देश में नवजात व बाल मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है। इसको नियंत्रित करने के लिए 15 जून तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का संचालन किया जा रहा है।
एसीएमओ एवं नोडल अधिकारी डॉ एके मौर्य ने बताया कि पखवाड़े का मुख्य उद्देश्य ओआरएस और जिंक के उपयोग के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना है। यदि किसी भी बच्चे को दस्त हो तो उसे ओआरएस का घोल बनाकर तत्काल दिया जाना चाहिए | इसके साथ ही दस्त के दौरान जिंक गोली का उपयोग अवश्य किया जाए। इसके लिये आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में बच्चों को चिन्हित कर और गृह भ्रमण के दौरान ओआरएस बनाने की विधि का प्रदर्शन भी करके सिखा रही हैं | सामान्य डायरिया का इलाज करने के अलावा गंभीर केस को रेफर करें। इससे पीएचसी व सीएचसी पर उनका सही उपचार हो सके | जनपद के सभी पीएचसी और सीएचसी पर निःशुल्क इलाज उपलब्ध है। अभियान से सम्बन्धित आईईसी सामग्री जैसे पोस्टर, पम्फलेट को उक्त स्थानों पर चस्पा की जाये |
स्वास्थ्य केंद्र पर ओआरएस एवं ज़िंक कार्नर – डॉ एके मौर्य ने बताया कि माताओं को स्तनपान, सही तरीके से हाथ धोने, साफ़-सफाई रखने, शौच के लिये शौचालय का प्रयोग करने आदि के बारे में बताया जा रहा है, जिससे डायरिया से बचाव हो सके | सभी पीएचसी, सीएचसी, उप केन्द्रों, जिला चिकित्सालय में ओआरएस एण्ड जिंक कॉर्नर बनाकर ओआरएस और जिंक टेबलेट के माध्यम से सामान्य डायरिया का इलाज किया जा रहा है |
जिला महिला चिकित्सालय की वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मृदुला मल्लिक ने बताया कि ओआरएस का घोल के साथ ज़िंक की गोली भी जरूर देनी चाहिए। दो माह से पाँच वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक खुराक देना चाहिए। इसमें 2 से 6 माह तक के बच्चों को आधी गोली और 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को एक गोली जिंक की देनी चाहिए। बीमारी के दौरान बच्चे को उसकी आयु के अनुसार स्तनपान एवं ऊपरी आहार तथा भोजन अवश्य दें। बाल्यावस्था में दस्त के दौरान बच्चे को पीने के लिए स्वच्छ पेयजल ही दिया जाए, ध्यान रहे खाना बनाने से पूर्व व बच्चे का मल साफ करने के पश्चात महिलाओं को साबुन से हाथ अवश्य धो लेना चाहिए। वहीं शौच के लिए शौचालय का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। डॉ मल्लिक ने बताया कि यदि बच्चे को पानी जैसा लगातार मल हो, बार -बार उल्टी हो, अत्यधिक प्यास लगे, पानी न पी पाएं, बुखार हो और मल में खून आ रहा हो तो उसे तत्काल स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाना चाहिए।

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