वाराणसी
पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा मनाया गया संत कबीर दास की जयंती

रिपोर्ट : मनोकामना सिंह
वाराणसी। मंडल रेल प्रबंधक रामाश्रय पाण्डेय के निर्देशन में राजभाषा विभाग द्वारा मंगलवार को संत कबीर दास की जयंती का आयोजन कोचिंग डिपो बनारस के संयुक्त प्रशिक्षण केंद्र में स्थित संत कबीर ग्रंथालय में मनाया गया । इस अवसर पर कोचिंग डिपो बनारस के डिपो कर्मचारी गण सर्व ओम प्रकाश, मनोज कुमार, महेंद्र कुमार, सुभाष चंद्र,दीपक कुमार श्रीवास्तव, सर्वेश चंद्र दुबे ,संतोष कुमार ,अजीत कुमार यादव ,राजकुमार सिंह ,दीपक श्रीवास्तव , प्रदीप तिवारी, नितीश कुमार एवं कोचिंग डिपो में कार्यरत प्रशिक्षु कर्मचारी उपस्थित थे। जयन्ती समारोह में शामिल प्रशिक्षु कर्मचारियों ने संत कबीर की रचनाओं की काव्यमय प्रस्तुतियां भी दी। जयंती समारोह में सीनियर सेक्शन इंजिनियर सर्वेश चंद्र दुबे ने कबीर दास के व्यक्तित्व रूप से परिचय देते हुए बताए की कबीर जी निरक्षर थे। उनके द्वारा जितने भी दोहों की रचना की गई है वे केवल इनके मुख से बोले गए हैं। उन्होंने अपनी अमृत वाणी से लोगों के मन में व्याप्त भ्रांतियों को दूर किया और धर्म के कट्टरपंथ पर तीखा प्रहार किया था। इन्होंने समाज को सुधारने के लिए कई दोहे कहे जिसके कारण उन्हें समाज सुधारक भी कहा गया। संत कबीर के नाम से कबीर पंथ नामक समुदाय की स्थापना की गई। आज के समय में भी इस पंथ को लाखों अनुयायी हैं । संत कबीर दास जी लोगों में फैले अधंविश्वास को दूर करने के लिए पूरे जीवन काशी में रहे लेकिन अंत समय मगहर चले गए और मगहर में ही कबीर दास जी की मृत्यु हुई। कबीर जी को मानने वाले लोग हर धर्म से थे, कबीर दास ने अपने दोहों, विचारों और जीवनवृत्त से मध्यकालीन भारत के सामाजिक और धार्मिक, आध्यात्मिक जीवन में क्रांति का सूत्रपात किया था। इस कार्यक्रम का संचालन राजभाषा विभाग के नीतीश कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन मनोज दुबे ने किया।