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सत्याग्रह का 70वां दिन: लोकतंत्र और संविधान बचाने का संकल्प

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वाराणसी। राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर के सामने “न्याय के दीप जलाएं” सत्याग्रह का आज 70वां दिन था। यह सत्याग्रह 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से जारी है, स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े गांधीवादी मूल्यों और संविधान की रक्षा के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। यह 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। आज के आयोजन में सामूहिक उपवास और सर्वधर्म प्रार्थना के साथ सत्याग्रहियों ने सरकार से सर्व सेवा संघ परिसर की बहाली की मांग दोहराई।

सर्व सेवा संघ परिसर के पुनर्निर्माण के लिए सामूहिक उपवास –
सत्याग्रह के 70वें दिन पर सर्व सेवा संघ परिसर के पुनर्निर्माण और संविधान की रक्षा के संकल्प के साथ सामूहिक उपवास आयोजित हुआ। आयोजकों ने बताया कि उपवास में 70 लोगों की भागीदारी का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 250 से अधिक लोग इसमें शामिल हुए। विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गोद लिए गए नागेपुर गांव के निवासी भी सत्याग्रह का हिस्सा बने।

उन्होंने सरकार द्वारा सर्व सेवा संघ परिसर पर कथित अवैध कब्जे और ध्वस्तीकरण की निंदा की। ग्रामीणों ने परिसर के पुनर्निर्माण और इसके ससम्मान लौटाने की मांग की। सत्याग्रह स्थल पर सुबह की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना और आचार्य विनोबा भावे के गीता प्रवचन के पाठ से हुई। उपस्थित सत्याग्रहियों को गांधी टोपी और माला पहनाकर सम्मानित किया गया।

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संविधान पर हमला और लोकतंत्र की रक्षा का आह्वान –
सत्याग्रह में उपस्थित लोक चेतना समिति की रंजू सिंह ने कहा, “यह हमला सिर्फ सर्व सेवा संघ परिसर पर नहीं, बल्कि सीधे संविधान पर है। संविधान वंचितों को अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है। इसे मिटाने का प्रयास लोकतंत्र और समानता पर हमला है।”

उन्होंने आगे कहा, “संविधान हमें नागरिक के रूप में अधिकार देता है। यह स्त्रियों, दलितों, आदिवासियों और वंचितों के लिए सुरक्षा कवच है। सरकार के इस कदम का विरोध संविधान की रक्षा का आंदोलन है।”

गांधीवादी विचारधारा और संविधान का महत्व –
वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर ने कहा, “संविधान की प्रस्तावना समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे आदर्शों का प्रतीक है। संविधान के खिलाफ वे लोग हैं जो बराबरी और लोकतंत्र को स्वीकार नहीं करते। आज संविधान की रक्षा का मतलब है जनता की रक्षा।”

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उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज ने इसे “एक सुनियोजित कुचक्र” बताया और आरोप लगाया कि सरकार ने यह कदम अडानी-अंबानी जैसे बड़े उद्योगपतियों के हितों को साधने के लिए उठाया है। उन्होंने कहा, “गांधी, विनोबा और जयप्रकाश के अनुयायी बदला नहीं, बल्कि बदलाव चाहते हैं।”

सत्याग्रह में भागीदारी
सत्याग्रह में सामूहिक उपवास करने वालों में प्रमुख रूप से अनीता, मनीषा, पूनम, मोतीराम, प्रियंका, और अन्य शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन नंदलाल मास्टर और रामधीरज के नेतृत्व में हुआ।

सत्याग्रह प्रभारी जागृति राही ने कहा कि यह आंदोलन संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए जारी रहेगा। 19 दिसंबर को आंदोलन के समापन तक यह सत्याग्रह जनता की आवाज उठाने का मंच बना रहेगा।

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