Connect with us

वाराणसी

*अब घर बैठे होगी ज्योतिष और कर्मकांड की पढ़ाई, तीन महीने से एक वर्ष तक का होगा कोर्स*

Published

on

रिपोर्ट प्रदीप कुमार

वाराणसी। वैज्ञानिक युग में तेजी से बदलती दुनिया के साथ अब भारतीय परंपरागत विद्या की मांग भी तेजी से बढ़ने लगी है। खास तौर पर प्रायः हर दूसरा आदमी ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ा है तो जिसे भी नया घर, वाणिज्यिक संस्थान के लिए भवन बनाना है तो वास्तु शास्त्री की जरूरत होती है। कर्मकांड की जरूरत तो हर सनातन हिंदू को होती है। लेकिन बहुधा योग्य कर्मकांडी, वास्तु शास्त्री या ज्योतिषी मिलते नहीं। इस कमी को दूर करेगा बनारस का संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां इन तीनों ही विद्या की ऑनलाइन पढ़ाई होगी और सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

तीनों ही विधाओं में पारंगत होंगे तो रोजगार का सृजन भी होगा
इस संबंध में संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी का कहना है कि ज्योतिष शास्त्र, वास्तुशास्त्र और कर्मकांड जैसे विषयों की मांग हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। घर बनाने में वास्तु और भाग्य जानने के लिए ज्योतिष शास्त्रियों की पूछ बढ़ी है। लेकिन अक्सर कई लोग ऐसे ज्योतिषियों के झांसे में फंस जाते हैं जिनके पास इस विद्या की सटीक जानकारी नहीं होती। ऐसे ही वास्तु शास्त्री के साथ होता है। ऐसे में विश्वविद्यालय ने तय किया है कि अब इन तीनों विधाओं की शिक्ष का प्रबंध किया जाए वो भी ऑनलाइन। ऐसा होने से अधिक से अधिक लोग इस विधा में पारंगत होंगे और लोगों को फायदा पहुंचाएंगे। इससे रोजगार का सृजन भी होगा।

कोई भी ले सकेगा दाखिला
इस नए पाठ्यक्रम में को भी दाखिला ले सकेगा। ये पाठ्यक्रम तीन,छह और एक साल के होंग। पाठ्यक्रम पूर्ण होन पर विद्यार्थी को डिप्लोमा डिग्री मिलेगी। इस नई कक्षा में ज्योतिष शास्त्र, वास्तुशास्त्र और कर्मकांड के अलावा पौरोहित्य और संस्कृत भाषा भी पढ़ाई जाएगी।

पाठ्यक्रम तैयार करने को गठित होगी कमेटी
इन नए पाठ्यक्रमों को लागू करने से पहले पाठ्यक्रम तैयार होगा, जिसके लिए विद्वतजनों की कमेटी जल्द ही गठित की जाएगी। पाठ्यक्रम के साथ ही स्टूडियो वर्क्स भी जल्द ही तैयार कर लिए जाएंगे। पाठ्यक्रम तैयार होन के बाद इससे जुड़ी जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाएंगी।

Advertisement

कुलाधिपति व राज्य शासन से बजट स्वीकृत
कुलपति प्रो. त्रिपाठी का कहना है कि विश्वविद्यालय की कुलाधिपति, यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और उत्तर प्रदेश शासन की अपर मुख्यसचिव मोनिका एस गर्ग ने इसके लिए बजट की व्यवस्था कर दी है। देश व प्रदेश सरकार हर किसी को संस्कृत में दक्ष करना चाहती है। इसे राष्ट्र स्तर पर बेहतर दर्जा दिलाने के बाद अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोक भाषा बनाए जाने की भी तैयारी है। इसके तहत लोगों को उन्हीं की भाषा में संस्कृत पढ़ाने का प्रयास होगा।
संस्कृत विश्वविद्यालय को मिला 1.16 करोड़ का बजट
बता दें कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को इन पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए प्रदेश सरकार से 1.16 करोड़ रुपए का बजट प्राप्त हुआ है। ऐसे में कुलपति प्रो त्रिपाठी का कहना है कि इस धनराशि का उपयोग जन-जन तक संस्कृत भाषा की पहुंच बनाने पर होगी।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page