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मिर्ज़ापुर

प्रभु के नाम का आश्रय लेने वाला होता है भवसागर से पार : स्वामी जगदीशानंद महाराज

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मड़िहान में श्रीमद् भागवत कथा में भक्त प्रहलाद की प्रसंग से गूंजा प्रांगण

मड़िहान (मिर्जापुर)। मड़िहान स्थित रोडवेज प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शिरोमणि स्वामी जगदीशानंद महाराज ने भक्त प्रहलाद के चरित्र का प्रभावशाली वर्णन किया। कथा में उन्होंने प्रभु के नाम की महिमा बताते हुए कहा कि प्रभु का नाम लेने से बड़े से बड़ा पाप समाप्त हो जाता है, जैसे सूर्य के उदय से अंधकार मिट जाता है।

स्वामी जी ने कहा, “जिसने प्रभु के नाम का आश्रय लिया, वह भवसागर से पार हो गया। लेकिन जो इधर-उधर भटकता है, उसे जीवन की कठिनाइयों में फंसना पड़ता है।”

अजामिल की कथा का उल्लेख करते हुए स्वामी जी ने बताया कि मृत्यु के समय अजामिल ने अपने पुत्र नारायण को पुकारा, लेकिन उसका पुत्र नहीं आया। तब अजामिल ने “नारायण, नारायण” पुकारा, और प्रभु के पाषरद (दूत) उसे बचाने आए। उन्होंने कहा, “ऐसा दयालु और कृपालु दूसरा कोई नहीं हो सकता।”

भक्त प्रहलाद के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए स्वामी जी ने कहा, “यदि आज प्रहलाद जैसा भक्त जन्म ले तो मेरे ठाकुर को प्रकट होना ही पड़ेगा। प्रहलाद का जीवन यह दिखाता है कि आस्था का विजय अहंकार पर होता है। हमें ईश्वर की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए, बल्कि उनकी प्रतीक्षा करनी चाहिए।”

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स्वामी जी ने कहा कि ईश्वर की बराबरी करने का प्रयास करने वालों का पतन निश्चित है। कथा सुनने के लिए प्रांगण में सैकड़ों भक्त उमड़े और भक्ति भाव में डूबकर श्रीमद् भागवत कथा का रसपान किया।

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