गाजीपुर
दो सौ साल पुराने भोलानाथ साव पुल का होगा संरक्षण

एनएच विभाग करेगा मरम्मत और सुंदरीकरण
सादात (गाजीपुर)। हीरानंदपुर गांव के पास गांगी नदी पर बने ऐतिहासिक पुल, जो सैदपुर और सादात नगर को जोड़ता है, को संरक्षित रखने का निर्णय लिया गया है। लगभग दो सौ साल पुराने इस पुल का निर्माण सुर्खी और चूने से किया गया था। इसे तोड़े बिना बगल में एनएच-124 डी के निर्माण के दौरान एक नया पुल बनाया जाएगा।
एनएच विभाग ने पुराने पुल की मरम्मत और सौंदर्यीकरण कराने का आश्वासन दिया है। विभाग ने कहा है कि यह पुल, जो सादात नगर निवासी भोलानाथ साव के नाम से जाना जाता है, उनके ऐतिहासिक योगदान को ध्यान में रखते हुए यथावत रखा जाएगा।
सादात के सामाजिक कार्यकर्ता आशुतोष प्रकाश ने हाल ही में एनएच विभाग को ज्ञापन देकर इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित रखने की मांग की थी। इसके बाद एनएच-124 डी के जनरल मैनेजर प्रेम प्रकाश ने आश्वासन दिया कि पुल को तोड़ा नहीं जाएगा। इसके बजाय इसकी मरम्मत और सौंदर्यीकरण किया जाएगा।
पुल का निर्माण सादात के जमींदार भोला नाथ साव ने करवाया था। बताया जाता है कि एक बार जब वे घोड़े पर सवार होकर न्यायिक कार्य के लिए सैदपुर जा रहे थे, तो नदी पार करने के लिए नाविक से जल्दी आने को कहा। इस पर नाविक ने कटाक्ष करते हुए कहा, “अगर जल्दी है, तो नदी पर पुल बनवा लीजिए।” इस टिप्पणी से प्रेरित होकर भोलानाथ साव ने पुल निर्माण का निर्णय लिया और कुछ ही दिनों में यह पुल बनकर तैयार हो गया।
पुल की दीवारों पर भोलानाथ साव ने संगमरमर की पट्टिकाओं पर अपने परिवार के तीन पीढ़ियों—बाबा लप्पन साव, पिता शिवनारायण, और स्वयं भोलानाथ साव—के नाम अंकित करवाए। यह शिलालेख हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में लिखा गया है।
भोलानाथ साव ने केवल पुल ही नहीं, बल्कि सादात से सैदपुर तक सड़क, मंदिर, तालाब और कुएं भी बनवाए। सैदपुर के पक्का घाट पर बना प्रसिद्ध मंदिर भी उनके योगदान का प्रमाण है।
एनएच विभाग द्वारा इस ऐतिहासिक पुल की मरम्मत और सुंदरीकरण का कार्य शीघ्र शुरू किए जाने की उम्मीद है। यह कदम इतिहास और धरोहर को सहेजने की दिशा में सराहनीय माना जा रहा है।