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गाजीपुर

गाजीपुर : 82वीं जयंती पर याद किये गये कामरेड इकबाल अहमद

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गाजीपुर जिले के कासिमाबाद क्षेत्र के सोनबरसा गांव में रविवार को स्वर्गीय कामरेड इकबाल अहमद की 82वीं जयंती पर लोगों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश किसान सभा के जिलाध्यक्ष अशोक मिश्रा ने कहा कि इकबाल अहमद का जीवन संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक था। छरहरे शरीर और दुर्बल काया के बावजूद वे अन्याय के खिलाफ हमेशा डटे रहे और गरीबों, किसानों, और मजदूरों के हक के लिए आजीवन संघर्षरत रहे।

स्वर्गीय इकबाल अहमद का जन्म 2 फरवरी 1943 को कासिमाबाद के एक रईस परिवार में हुआ था। महज कक्षा 5 में पढ़ाई के दौरान उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व सांसद सरजू पांडे के साथ गरीबों और किसानों के हक की लड़ाई में कदम रखा। बचपन में किए गए ये संघर्ष उनके जीवन का जुनून बन गए।

वर्ष 1965 में उन्होंने शेखनपुर में हरी बेगारी के खिलाफ आंदोलन छेड़ा और मजदूरों को उनका हक दिलवाया। 1970 में रेंगा गांव में 110 बीघा जंगल को कृषि योग्य बनाकर उसे खेतीहर मजदूरों को सौंपने के कारण कांग्रेस नेताओं से उनका टकराव हो गया। मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए 1977 में विधानसभा में प्रदर्शन के दौरान उनके ऊपर घोड़ा दौड़ा दिया गया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।

मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को काला झंडा दिखाने पर उन पर लाठीचार्ज भी हुआ, लेकिन वे कभी अपने मकसद से पीछे नहीं हटे। मजदूरों ने उन्हें अपना नेता माना, और वे बड़ौरा कताई मिल के 1200 मजदूरों के अध्यक्ष बने। उनके अधिकारों के लिए वे एक महीने तक जेल में भी रहे। बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए वे लखनऊ विधानसभा का गेट फांदकर विधानसभा में प्रवेश कर गए, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

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अपने अंतिम समय तक वे गरीबों, मजदूरों और किसानों की आवाज बने रहे। 11 अक्टूबर 2019 को उन्होंने अंतिम सांस ली, लेकिन उनकी संघर्ष गाथा आज भी लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई है। इस जयंती कार्यक्रम में राजीव कुमार सिंह, हाफिज ख़ैरुल बशर, मौलाना अब्दुल अजीज, मौलाना मो. मुनिश, अब्दुल कुद्दुस अंसारी, रितेश सिंह, जाहिद अली, इरशाद अहमद, इरफान अहमद, मंजूर अहमद, इमरान, अफजाल अहमद समेत कई लोग उपस्थित रहे।

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