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वाराणसी

गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल जुलूस-ए-मौला अली 14 को

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सभी धर्मों के लोग होंगे शामिल

वाराणसी (जयदेश)। उन्नीस रजब को हजरत अली जयंती के अवसर पर आयोजित पराड़कर स्मृति भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए हजरत अली समिति के सचिव और मीडिया प्रभारी हाजी फरमान हैदर ने जानकारी दी कि इस अवसर पर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हुए ऐतिहासिक जुलूस “जुलूस-ए-मौला अली” का आयोजन किया जाएगा। यह जुलूस 14 को पूर्वाहन 9 बजे टाउनहॉल से उलमा की कयादत में शुरू होगा।

दोषीपुरा से उठने वाला जुलूस भी इसमें शामिल होगा और यह अपने कदीमी रास्तों से गुजरते हुए मैदागिन चौराहे पर मिल जाएगा। इसके बाद जुलूस मैदागिन, नीचीबाग से होते हुए गुरुद्वारे पर पहुंचेगा, जहां भाई महेंद्र सिंह और उनके ग्रंथी साथियों द्वारा जुलूस का स्वागत किया जाएगा।

जुलूस चौक, दालमंडी, नई सड़क, कालीमहल और पितृकुंड से होते हुए दरगाह-ए-फातमान पर पहुंचेगा, जहां हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई एकता का अनूठा नजारा देखने को मिलेगा। इस अवसर पर संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विशंभर नाथ मिश्र, बिशप यूजीन जोसेफ, मैत्री भवन के डायरेक्टर फादर फिलिप्स, गुरुद्वारा नीचीबाग से भाई धर्मवीर सिंह और तिब्बतन यूनिवर्सिटी के प्रो. रमेश चंद्र नेगी भी शामिल होंगे। समाज में शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को बाबुल इल्म अवॉर्ड, विलायत अवॉर्ड और दुर्रे नजद अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा।

फातमान का कार्यक्रम इस बार संक्षिप्त होगा। 12 जनवरी से शुरू होने वाली महफिलें 15 जनवरी तक चलेंगी। शिया समुदाय की 28 अंजुमन अपने-अपने क्षेत्रों में हजरत अली जयंती का जश्न मनाएंगी।

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जुलूस-ए-अली समिति के मुख्य संरक्षक मौलाना शमीमुल हसन की सरपरस्ती में यह जुलूस निकाला जाएगा। काशीवासियों से अपील की गई है कि वे धर्म और जाति से ऊपर उठकर इस जुलूस में शामिल हों। 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार भी मनाया जाएगा, जिससे यह दिन और भी खास बन जाएगा।

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