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वाराणसी

world orthodontic health day 2022: BHU के दंत रोग विभाग की स्टडी- पूर्वांचल के 49 फीसद बच्चे टेढे-मेढे दांत की समस्या से ग्रस्त*

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वाराणसी. world orthodontic health day हर साल 15 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। ऑर्थोडॉन्टिक्स शाखा डेंटिस्ट्री की सुपरस्पेशलिटी है जिसमे टेढे मेढे व अनियमित दांत, जबड़े और चेहरे को ठीक किया जाता है। इसके स्पेशलिस्ट को ऑर्थोडॉन्टिस्ट कहते हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्याल के दंत रोग संकाय की स्टडी के मुताबिक पूर्वांचल के हर दूसरे बच्चे के साथ है टेढे-मेढे दांत की समस्या।

पूर्वांचल के 49 फीसद बच्चे टेढे-मेढे दांत की समस्या से ग्रस्त
प्रो टी पी चतुर्वेदी के नेतृत्व में वाराणसी के आसपास सर्वे में यह पाया गया कि टेढे मेढे दांत व जबड़े की समस्या 49 फीसद बच्चो में हो रही है। इसका मतलब हर दूसरा बच्चा ऑर्थोडॉन्टिक समस्या से परेशान है। शहर में यह दिक्कत गावों के बच्चो से ज्यादा होती है।
बीएचयू दंत रोग चिकित्सा संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो टीपी चतुर्वेदीऐसे होते हैं टेढे-मेढ़े दांत
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दंत रोग संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो टीपी चतुर्वेदी ने बताया कि टेढे-मेढे, अनियमित दांत व जबड़े का मुख्य कारण प्रमुख रूप से वातावरणीय और आनुवांशिकी होता है। वातावरणीय कारण के तहत मुख्य रूप से मुंह के स्वांस लेने, अंगूठा चूसने, कुपोषण, जीभ के बनावट व गलत ढंग से खाना निगलने से होता है। कटे तालू एवं कटे होठ के कारण भी यह समस्या होती है। इससे खाने में कठिनाई, देखने में मुंह व चेहरा खराब लगता है। जबड़े व चेहरे का विकास बच्चो में ठीक से नहीं हो पाता है। आनुवांशिकी कारण में यदि माता एवं पिता को यह दिक्कत है तो बच्चो में भी यह दिक्कत हो सकती है।

7-18 वर्ष तक के बच्चों का हो सकता है इलाज
प्रो चतुर्वेदी ने बताया कि इसका इलाज बच्चो में किसी भी उम्र में किया जा सकता है। लेकिन इलाज सबसे उपर्युक्त समय बच्चे के 7 साल से 18 साल तक है। इसके लिए दांत पर विशेष तौर पर अप्लायंस या ब्रेसेस लगाकर इलाज किया जाता है। इसके लिए समय 6 महीने से 3 साल तक लग सकता है।

बनारस में 2011 में हुआ ऑर्थोडॉन्टिक स्टडी ग्रुप का निर्माण
बनारस में ऑर्थोडॉन्टिक स्टडी ग्रुप का निर्माण 2011 में इंडियन ऑर्थोडॉन्टिक सोसायटी द्वारा किया गया है। इसके द्वारा समय समय पर ऑर्थोडॉन्टिक दिक्कतों के लिए जागरूकता का अभियान चलाया जाता है। ऑर्थोडॉन्टिक्स शाखा डेंटिस्ट्री की सुपरस्पेशलिटी है जिसमे टेढे मेढे अनियमित दांत, जबड़े और चेहरा को ठीक किया जाता है। इसके स्पेशलिस्ट को ऑर्थोडॉन्टिस्ट कहते हैं।
तीन साल में मिलती है ऑर्थोंडॉन्टिक्स में एमडीएस उपाधि
ऑर्थोंडॉन्टिक्स में एमडीएस उपाधि के लिए 3 वर्ष का समय लगता है। यह बीडीएस डिग्री के बाद की जाती है। बीडीएस उपाधि के लिए 5 साल का समय लगता है।

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बीएचयू में 2008 में शुरू हुई पढ़ाई
दंत संकाय के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इस विषय की पढ़ाई सन 2008 में शुरू हुई। इस समय ऑर्थोडॉन्टिक एमडीएस के लिए 4 कंडीडेट का हर साल प्रवेश NEET पीजी प्रवेश परीक्षा के आधार पर लिया जाता है।

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