राष्ट्रीय
भारत का ‘जीईएम’ जल्द बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा ई-प्रोक्योरमेंट प्लेटफॉर्म

स्टार्टअप्स और महिला उद्यमियों को मिला बड़ा मंच, छोटे कारोबारियों को मिला न्यायसंगत अवसर
नई दिल्ली। देश में सार्वजनिक खरीद को पारदर्शी, समावेशी और कुशल बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के रूप में गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण को साकार करने में यह प्लेटफ़ॉर्म एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभरा है।
2016 में आरंभ हुए जीईएम प्लेटफ़ॉर्म ने आज 1.6 लाख से अधिक सरकारी खरीदारों को 23 लाख विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से जोड़ दिया है। इस डिजिटल परिवर्तन ने न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया, बल्कि स्टार्टअप्स, एमएसएमई, महिला उद्यमियों और छोटे शहरों के कारोबारों के लिए नए अवसरों के द्वार भी खोले हैं।
पुरानी व्यवस्था से नई क्रांति तक
जीईएम ने उस डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सप्लाइज एंड डिस्पोजल्स (DGS&D) की जगह ली है, जिसकी प्रणाली अपारदर्शी और गैर-प्रतिस्पर्धी थी। नई वाणिज्य भवन का निर्माण उसी भूमि पर किया गया है जहाँ कभी यह निकाय कार्यरत था — जो प्रतीक है एक नए युग की शुरुआत का।
तेज़ रफ़्तार प्रगति
जीईएम पर अब तक 13.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऑर्डर लेन-देन हो चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा रिकॉर्ड 5.43 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। मौजूदा वित्तीय वर्ष में इसका लक्ष्य 7 लाख करोड़ रुपये का कारोबार है। इस रफ्तार को देखते हुए, जीईएम जल्द ही दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक खरीद पोर्टल बन सकता है, दक्षिण कोरिया के कोनेप्स जैसे प्रतिष्ठानों को भी पीछे छोड़ते हुए।
न्यायसंगत और समावेशी विकास का आधार
प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ मिशन के अनुरूप, जीईएम ने स्टार्टअप्स और महिला नेतृत्व वाले व्यवसायों को सरकारी खरीद में भागीदारी का सीधा मंच प्रदान किया है। “स्टार्टअप रनवे” और “वुमनिया” जैसे विशेष स्टोरफ़्रंट ने उनकी दृश्यता और हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
जीईएम पर एमएसई को कुल कारोबार का 38% और महिला उद्यमों को 4% हिस्सा प्राप्त हुआ है। अप्रैल 2025 तक, 30,000 से अधिक स्टार्टअप्स ने 38,500 करोड़ रुपये और 1.81 लाख महिला उद्यमियों ने लगभग 50,000 करोड़ रुपये का कारोबार किया है।
बचत और पारदर्शिता का लाभ
जीईएम ने खरीद प्रक्रिया को इतना दक्ष बना दिया है कि कई ऑर्डरों में 33% से 96% तक की बचत हुई है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, इस प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए औसतन 9.75% लागत की बचत होती है, जिससे अब तक लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये की राशि बचाई जा चुकी है।
एनटीपीसी जैसी सरकारी कंपनियों ने रिवर्स नीलामी के ज़रिए 20,000 करोड़ रुपये के अनुबंधों में 2,000 करोड़ रुपये की बचत की। रक्षा उपकरणों, वैक्सीन, ड्रोन और बीमा सेवाओं की खरीद में भी पारदर्शिता और किफायती मूल्य सुनिश्चित हुए हैं।
तकनीक से व्यापार की नई परिभाषा
जीईएम ने “जीईएम एआई” नामक एक एआई-आधारित स्मार्ट चैटबॉट लॉन्च किया है, जो आठ भारतीय भाषाओं में संवाद करता है और वॉयस कमांड से भी संचालित होता है। यह व्यापारियों को प्लेटफ़ॉर्म पर सहज व्यापार में सहायता करता है।
साथ ही, एमएसएमई विक्रेताओं को 10 मिनट से भी कम समय में गिरवी-मुक्त ऋण सुविधा भी दी जा रही है। “जीईएम सहाय 2.0” के माध्यम से 10 लाख रुपये तक का ऋण अब एकल खिड़की से उपलब्ध है।
आगे की राह
लेन-देन शुल्क में कटौती और तकनीकी नवाचारों के साथ, जीईएम को और अधिक समावेशी और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कई नई पहलों पर कार्य किया जा रहा है। यह न केवल एक व्यापारिक मंच है, बल्कि यह करदाताओं के पैसे का कुशल उपयोग सुनिश्चित करते हुए, देश के आर्थिक विकास और सामाजिक सशक्तिकरण का एक अहम माध्यम बन चुका है।