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मऊ

66 बिसवा आस्था की पोखरी पर मंडी समिति का कब्जा

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मऊ। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुली अवहेलना, प्रशासन की चुप्पी, जनता में गुस्साउत्तर प्रदेश सरकार अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दे रही है, लेकिन घोसी तहसील के गोठा ग्रामसभा में स्थित ऐतिहासिक 66 बिसवा पोखरी पर मंडी समिति का अवैध कब्जा सरकार की मंशा को चुनौती दे रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ निर्देश दिए थे कि ग्रामसभा की भूमि पर किसी प्रकार का स्थायी निर्माण या अतिक्रमण गैरकानूनी है, लेकिन तहसील प्रशासन और मंडी समिति की मिलीभगत से इन आदेशों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है।ग्रामसभा गोठा के सदस्य प्रवीण कुमार राय उर्फ घम्मू दादा ने इस गंभीर मुद्दे को लेकर तहसील दिवस पर तीसरी बार जिलाधिकारी को शिकायती पत्र सौंपा, लेकिन डीएम ने एक बार फिर एसडीएम के नेतृत्व में जांच टीम बनाई है। हालांकि, पहले भी दो बार जांच हो चुकी है, लेकिन कार्रवाई की फाइलें धूल फांक रही हैं।

घम्मू दादा ने कहा, “यह जनता की आस्था का सवाल है, और मैं अंतिम सांस तक इस लड़ाई को लड़ूंगा।” उनका कहना है कि यह पोखरी सिर्फ पानी का स्रोत नहीं है, बल्कि हजारों ग्रामीणों की आस्था और परंपरा का प्रतीक है। वर्षों से छठ पूजा, जीवित पुत्रिका व्रत और रामलीला के मंचन का केंद्र रही इस पोखरी पर आज अतिक्रमण किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी बताया कि रामलीला के दौरान यहां प्रभु श्रीराम का लंका गमन दृश्य प्रदर्शित किया जाता था, जिससे यह पोखरी धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है।स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह न सिर्फ आस्था का उल्लंघन है, बल्कि पोखरी को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की संभावनाओं को भी खत्म किया जा रहा है।जनता ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो एक बड़ा आंदोलन होगा।

अब यह देखना होगा कि योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति इस मामले में काम करती है या फिर मंडी समिति के प्रभाव के आगे आस्था और कानून दोनों हार मानते हैं।

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