Connect with us

वाराणसी

श्रीलक्षचण्डी महायज्ञ में आयोजित 9 दिवसीय वाल्मीकि रामायण कथा में प्रभु राम और उनके भाइयों का हुआ विवाह

Published

on

रामायण सप्तकाण्ड हैं प्रभु श्रीराम के सप्त विग्रह – श्री राघवाचार्य जी महाराज

वाराणसी। संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज के सानिध्य में कोरोना महामारी के शमन हेतु चल रहे 51 दिवसीय विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ की श्रृंखला में आयोजित दिन 9 दिवसीय बाल्मिकी रामायण कथा के पांचवें दिन शुक्रवार को कथा व्यास ने प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के विवाह प्रसंग का वर्णन किया।

व्यासपीठ, पवित्र ग्रंथ रामायण व प्रभु हरिराम के विग्रह के पूजन अर्चन के बाद कथा व्यास जगद्गुरु श्री राघवाचार्य जी महाराज ने प्रभू के संकीर्तन के बाद कथा प्रारम्भ किया। उन्होंने बताया कि रामायण प्रभु श्रीराम के सप्त विग्रह हैं। उन्होंने बताया कि रामायण के बालकाण्ड प्रभु के चरण, अयोध्या कांड प्रभु की कटी, किष्किंधा कांड प्रभु का हृदय, सुंदरकांड प्रभु का कंठ, युद्ध व लंका कांड प्रभू का मुख, उत्तरी कांड प्रभू का उदर व अरण्य कांड प्रभु का हस्त इस तरह सात कांड प्रभु के सप्त विग्रह हैं।

कथा व्यास ने आज के प्रसंग का प्रारम्भ करते हुए कहा कि चारों राजकुमार जैसे-जैसे बड़े होते जा रहे। महाराज दशरथ को उनके विवाह की चिंता सताने लगती है। वह इतने चिंतित हो जाते हैं कि इस पर अपने मंत्रियों से विचार विमर्श करते है। तभी ऋषि विश्वामित्र उनके दरबार मे अपने यज्ञ में बाधा डाल रहे राक्षसों के विध्वंस हेतु चारों राजकुमारों को महाराज से अपने साथ ले जाने के लिए आते हैं। ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांग कर अपने साथ ले गये। ऋषि विश्वामित्र से दीक्षा प्राप्त कर प्रभु राम ने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों का वध करते हैं। साथ ही मारीच को बिना फल वाले बाण से मार कर समुद्र के पार भेज दिया। उधर लक्ष्मण ने राक्षसों की सारी सेना का संहार कर डाला।

इसके बाद धनुषयज्ञ हेतु राजा जनक के निमंत्रण मिलने पर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ उनकी नगरी मिथिला (जनकपुर) आ गये। रास्ते में राम ने गौतम मुनि की स्त्री अहिल्या जो श्राप के कारण पत्थर बन गई थीं उनका उद्धार किया। मिथिला में राजा जनक की पुत्री सीता जिन्हें कि जानकी के नाम से भी जाना जाता है का स्वयंवर का भी आयोजन था। जहाँ कि जनक प्रतिज्ञा के अनुसार शिवधनुष को तोड़ कर राम ने सीता से विवाह किया। राम और सीता के विवाह के साथ ही साथ गुरु वशिष्ठ ने भरत का माण्डवी से, लक्ष्मण का उर्मिला से और शत्रुघ्न का श्रुतकीर्ति से करवा दिया।

Advertisement

कार्यक्रम में कार्यक्रम में परमपूज्य स्वामी प्रखर जी महाराज, आनंद प्रकाश ब्रह्मचारी जी महाराज, कथा के मुख्य यजमान गोविंद लोहिया, महायज्ञ समिति के अध्यक्ष श्री कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनील नेमानी, संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल, डॉ सुनील मिश्रा, अमित पसारी, शशिभूषण त्रिपाठी, अनिल भावसिंहका, मनमोहन लोहिया, अनिल अरोड़ा,  विकास भावसिंहका, आदि लोग उपस्थित रहे।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page