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चन्दौली

शंकराचार्य ने किया ‘हिंदू व्रत-पर्व निर्णय समिति’ का गठन धर्म

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निर्णयालय से घोषित होंगी पर्वों की तिथियां

चंदौली। हिंदू समाज में व्रत-पर्वों की तिथियों को लेकर उत्पन्न होने वाले भ्रम को दूर करने के लिए उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने ‘हिंदू व्रत-पर्व निर्णय समिति’ के गठन की घोषणा की। यह समिति धर्म निर्णयालय के माध्यम से शास्त्रीय आधार पर पर्वों की तिथियों का निर्धारण करेगी और हिंदू समाज को स्पष्ट दिशा-निर्देश देगी।

शंकराचार्य ने कहा कि समय का एक विशेष महत्व है और यह परमात्मा का स्वरूप माना जाता है। इसके दो रूप होते हैं – नित्य (साक्षात परमेश्वर) और जन्य (गणनात्मक काल)। हिंदू धर्म में शुभ कार्यों के लिए विशेष कालखंडों का चयन ‘मुहूर्त’ के आधार पर किया जाता है, ताकि धार्मिक अनुष्ठान विधिपूर्वक संपन्न हो सकें।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हिंदू समाज में विभिन्न संप्रदायों और गणनाओं के भेद के कारण कई बार एक ही पर्व की तिथि अलग-अलग पंचांगों में भिन्न-भिन्न दर्शाई जाती है। इस कारण आम श्रद्धालु भ्रमित हो जाते हैं और उन्हें सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। इसी समस्या के समाधान के लिए परमधर्मसंसद 1008 में यह निर्णय लिया गया कि ‘हिंदू व्रत-पर्व निर्णय समिति’ संपूर्ण देश के विषय-विशेषज्ञों से चर्चा कर, उनके अभिमत को ध्यान में रखते हुए शास्त्रीय निर्णयों की घोषणा करेगी।

इस अवसर पर अनुसूया प्रसाद उनियाल ने विषय-स्थापना की, जबकि जिज्ञेश पंड्या, सुनील कुमार शुक्ला, डेजी रैना, राघवेंद्र पाठक, हर्ष मिश्रा और संजय जैन सहित कई विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए। देवेंद्र पांडेय ने संसद का संचालन किया और कार्यक्रम की शुरुआत जयघोष से हुई।

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बैठक के अंत में शंकराचार्य महाराज ने धर्मादेश जारी किया, जिसे उपस्थित सभी विद्वानों और धर्माचार्यों ने ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष के साथ स्वीकार किया। इसके अलावा, कुंभ महापर्व के दौरान भगदड़ में मारे गए श्रद्धालुओं और ब्रह्मचारी कैवल्यानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए तीन बार शांति मंत्र का उच्चारण किया गया।

इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी शंकराचार्य महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पांडेय ने साझा की।

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